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किताब पढ़ी थी और किताब में डाकुओं और हत्यारों की बात थी। कुछ होगी पुराने जासूसी ढंग की किताब, भूत-प्रेत, तिलिस्मी। वह घबड़ाया हुआ था, किताब की छाया उसके सिर पर थी। और उसने देखा कि लोग चले आ रहे हैं। उसने कहा, मालूम होता है दुश्मन। और बैंड-बाजे भी बजा रहे हैं, हमला हो रहा है। घोड़े पर चढ़ा आ रहा है कोई आदमी और तलवार लटकाये हुए। वह तो एक बारात थी। मगर वह बहुत घबड़ा गया। उसने देखा, यहां तो कुछ उपाय भी नहीं है। पास ही एक कब्रिस्तान था, तो घबड़ा कर दीवाल छलांग कर कब्रिस्तान में पहुंच गया। वहां एक नयी-नयी कब्र खुदी थी। अभी मुर्दा लाने लोग गये होंगे कब्र खोदकर, तो वह उसी में लेट गया। उसने सोचा कि मुर्दे की कौन झंझट करता है।
लेकिन उसको ऐसा छलांग लगा कर देख कर, छाया को उतरते देख कर बाराती भी घबड़ा गये कि मामला क्या है! अचानक एक आदमी छलांग लगाया, भागा-वे भी देख रहे हैं। वे भी घबड़ा गये, उन्होंने भी बैंड-बाजे बंद कर दिये। जब बैंड-बाजे बंद कर दिये तो मुल्ला ने कहा मारे गये! देखे गये! वह बिलकुल सांस रोक कर पड़ा रहा। वे भी आहिस्ता से धीरे-धीरे दीवाल के ऊपर आ कर झांके। जब बारातियों ने दीवाल के ऊपर झांका, उसने कहाः हो गया खात्मा समझो! अब पत्नी-बच्चों का मुंह दुबारा देखने न मिलेगा। और जब उसको उन्होंने देखा कि वह आदमी, बिलकुल जिंदा आदमी अभी गया और नयी-नयी खुदी कब्र में बिलकुल मुर्दे की तरह लेटा। उन्होंने कहा, कोई जालसाजी है। यह आदमी हमला करेगा, बम फेंकेगा या क्या करेगा! तो वे सब आये लालटेनें ले कर, मशालें जला कर खड़े हो गये चारों तरफ।
अब मुल्ला कब तक सांस रोके रहे! आखिर सांस सांस ही है। थोड़ी देर रोके रहा, फिर उठ कर बैठा गया। उसने कहा, अच्छा भाई कर लो जो करना है। उन्होंने कहा, क्या करना, क्या मतलब? तुम क्या करना चाहते हो? तब उसकी समझ में आया। उन बारातियों ने पूछा कि तुम यहां क्या कर रहे हो? तुम इस कब्र में क्यों लेटे हुए हो? तो नसरुद्दीन ने कहा, हद हो गयी। मैं तुम्हारी वजह से यहां हूं और तुम मेरी वजह से यहां हो! और बेवजह सारा मामला है। जब उसने देखा लालटेन वगैरह, ज्योति में कि यह तो बारात है, दूल्ला-वूल्हा सजाये है, कहीं कोई हमला करने नहीं जा रहे हैं। अपना वहम है। ___तुमने देखा? पड़ोसी कुछ करने लगे तो तुम तैयारी करने लगते हो। तुम कुछ करने लगे तो पड़ोसी तैयारी करने लगता है। दुनिया में आधे संघर्ष तो इसीलिए हो रहे हैं कि भय है। तुम घर लौटते-ऐसा कोई राष्ट्रों में हो रहा है, ऐसा नहीं है-तुम घर लौटते, तुम रास्ते में ही तैयारी करने लगते कि पत्नी क्या कहेगी, जवाब क्या देना है! तुम तैयारी करने लगे। पत्नी भी घर तैयारी कर रही है कि अच्छा, पांच बज रहा है, पति लौटते होंगे; देखें क्या उत्तर ले कर आ रहे हैं! वह भी तैयारी करने लगी। दोनों तैयार हैं।
दूसरे से बचने का भय तुम्हें और सिकोड़ जाता है, तनाव से भर जाता है, असुरक्षित कर जाता है। सारा जीवन इस कलह में बीत जाता है। छोटी कलह, बड़ी कलह, जातियों की, धर्मों की, राष्ट्रों की-मगर कलह एक ही है।
'सब आत्मा है ऐसा जिसने निश्चयपूर्वक जाना, वह हो गया शांत।'
तथाता का सूत्र-सेतु है
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