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लेता है चादरें असत्य की-वह भटक जाता है। ___ 'मैं कहां-कहां न भटका तेरी बंदगी के पीछे।' . अब बंदगी करनी हो तो कहीं भटकने की जरूरत है? कोई मक्का, मदीना, काशी, गिरनार, कि सारनाथ, कि बोधगया जाने की जरूरत है? बंदगी करनी हो तो यहीं नमन हो जाये। बंदगी तो झुकने का नाम है; जहां झुक गये बंदगी हो गयी। तुम जहां झुके, वहीं परमात्मा मौजूद हो जाता है-तुम्हारे झुकने में मौजूद हो जाता है। उसको खोजने कहां जाओगे? कुछ पता-ठिकाना मालूम है ? जाओगे कहां? जहां भी जाओगे, तुम तुम ही रहोगे। अगर झुकना था तो यहीं झुक जाते। काबा जाते हो झुकने? अगर पत्थरों के सामने ही झुकने में लगाव है तो यहां कोई पत्थरों की कमी है? कोई भी पत्थर रख कर झुक जाओ। काशी जाते हो? काशी में जो रह रहे हैं, तुम समझते हो उनको बंदगी उपलब्ध हो गयी है?
कबीर तो मरते दम तक काशी में थे। आखिरी घड़ी बीमार जब पड़ गये, अपने बेटे से कहा कि अब मुझे यहां से हटा; मुझे मगहर ले चल। अब मगहर! कहावत है काशी में, काशी के लोगों ने ही गढ़ी होगी कि मगहर में जो मरता है, वह नर्क जाता है या गधा होता है, और काशी में जो मरता है-काशीकरवट-वह तो सीधा स्वर्ग जाता है। कबीर उठ कर खड़े हो गये अपने बिस्तर से और कहा कि मुझे मगहर ले चल। लड़के ने कहा, बुढ़ापे में आपका दिमाग खराब हो रहा है? मगहर से तो लोग मरने काशी आते हैं। मगहर में मरें तो गधे हो जाते हैं। तो कबीर ने कहा, वह गधा हो जाना मुझे पसंद है, लेकिन काशी का ऋण नहीं लूंगा। यह अहसान नहीं लूंगा। अगर अपने कारण स्वर्ग पहुंचता हूं तो ठीक है। काशी के कारण स्वर्ग गया, यह भी कोई बात हुई ? किस मुंह से भगवान के सामने खड़ा होऊंगा? वे कहेंगे, काशी में मरे कबीर, इसलिए स्वर्ग आ गये; मगहर में मरते तो गधा होते। मैं तो मगहर में ही मरूंगा। अगर मगहर में मर कर स्वर्ग पहुंचूं तो शान से प्रवेश तो होगा। यह कह तो सकूँगा, अपने कारण आया, काशी के कारण नहीं आया। ____ तुम कहां खोजते फिर रहे हो? तुम कारण खोज रहे हो कि किसी बहाने, किसी पीछे के दरवाजे से परमात्मा मिल जाये। मैं तुमसे यह कहता हूं, तीर्थयात्रा पर तुम इसीलिए जाते हो कि तुम झुकना नहीं चाहते, तुम बंदगी करना नहीं चाहते। तुम्हें बड़ी उल्टी बात लगेगी। क्योंकि तुम तो सोचते हो बंदगी के लिए तीर्थयात्रा कर रहे हैं। बंदगी के लिए कहीं जाने की भी जरूरत है? तुम जहां हो वहीं झुक जाओ। तुम्हें अब तक समझाया गया है कि वहां जाओ जहां परमात्मा है, वहां झुकोगे तो मोक्ष मिलेगा। मैं तुमसे कहता हूं : तुम जहां झुक जाओ वहां परमात्मा के चरण मौजूद हो जाते हैं। तुम्हारे झुकने में ही-वही कला है-तुम्हारे झुकने में ही परमात्मा के चरण मौजूद हो जाते हैं। तुम झुके नहीं कि परमात्मा मौजूद हुआ नहीं। तुम झुके नहीं कि परमात्मा तुम्हारे भीतर उंडला नहीं।
तुम भटकते रहे अपने कारण। नहीं, इसको परमात्मा के कारण मत कहो। परमात्मा के कारण कोई कभी भटका है?
और अब तुम फिर पूछते हो कि 'अब आगे मैं क्या करूं, यह बताने की अनुकंपा करें।'
अनुकंपा! मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं हूं कि अब तुम्हें और कुछ बताऊं कि अब तुम यह करो! मैं तुमसे कहूंगा : बहुत हो गया करना, अब 'न-करने' में विराजो। अब न-करने के सिंहासन पर बैठो।
आलसी शिरोमणि हो रहो
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