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आखिरी प्रश्न : जनक के जीवन में एक अपूर्व प्रसंग है - भूमि से प्राप्त सीता और सीता के आसपास जन्मी रामलीला का । कृपा करके रामलीला को आज हमें समझाएं।
|ष्टावक्र के संदर्भ में और उस सबके | संदर्भ में जो मैं तुमसे कह रहा हूं, उस
कथा का अर्थ बहुत सीधा-साफ है । सीता है पृथ्वी, राम हैं आकाश । उन दोनों का मिलन ही रामलीला है – पृथ्वी और आकाश का मिलन। और रामलीला प्रत्येक के भीतर घट रही है। तुम्हारी देह सीता है; तुम्हारी आत्मा, राम । तुम्हारे भीतर दोनों का मिलन हुआ है - पृथ्वी और आकाश का, मर्त्य का और अमृत का। तुम्हारे भीतर दोनों का मिलन हुआ है। और उस सब में जो भी घट रहा है, सभी रामलीला है।
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राम-कथा को अपने भीतर पढ़ो। और जिस दिन तुम यह पहचान लोगे कि तुम न तो राम हो और न तुम सीता हो, तुम तो रामलीला के साक्षी हो, द्रष्टा हो - उसी दिन रामलीला बंद हो जाती है। जाना है सीता और राम के ऊपर।
रामलीला लोग देखने जाते हैं, वहां क्या खाक मिलेगा ? भीतर रामलीला चल रही है, वहीं बैठ कर देखो- तुम देखने वाले बन जाओ। रामलीला देखने से कहते हैं बड़ा लाभ होता, पुण्य होता । वह पुण्य, अगर मेरी बात समझ में आ जाए, तो होता है। यह जो सीता और राम का मिलन तुम्हारे भीतर हुआ है, ये जो पृथ्वी और आकाश मिले, यह जो पदार्थ और चैतन्य का मिलन हुआ— इसको मंच बना लो, यह होने दो। तुम दर्शक हो कर बैठ जाओ, तुम द्रष्टा बन जाओ, तुम साक्षी हो जाओ। जैसे ही तुम साक्षी हुए, तुम लीला के पार हो गए।
कहीं और रामलीला देखने नहीं जाना है। प्रत्येक के भीतर जन्मती है रामलीला । और जब तक रामलीला चलती रहती है, तब तक संसार चलता रहता है। जिस दिन तुम्हारा साक्षी जाग जाता है और रामलीला बंद हो जाती है, उसी दिन संसार तिरोहित हो जाता है।
बहुत दिन देख ली रामलीला; लेकिन जिस ढंग से देखी, उसमें थोड़ी भूल है । वह भूल ऐसी है कि तुम रामलीला देखते-देखते यह भूल ही जाते हो कि तुम द्रष्टा हो। यह भी रोज होता है। तुम फिल्म देखने जाते हो, तुम भूल जाते हो कि तुम देखने वाले हो; तुम फिल्म का अंग बन जाते हो ।
जब पहली दफा थ्री डायमेंशनल फिल्म बनी और लंदन में दिखाई गई, तो लोगों को समझ में आया कि हम कितने भूल जाते हैं। तीन डायमेंशनल जो फिल्म है, उसमें तो बिलकुल ऐसा लगता है। जैसे साक्षात व्यक्ति आ रहा है। एक घुड़सवार एक घोड़े पर दौड़ता एक भाला लिए आता है, और ठीक आ कर पर्दे पर वह भाला फेंकता है। पूरा हाल झुक गया - आधा इस तरफ, आधा उस तरफ - भाले से बचने के लिए। एक क्षण को झूठ सच हो गया। इस झूठ के सच हो जाने का नाम माया है।
बंगाल में बड़े प्रसिद्ध विचारक हुए ईश्वरचंद्र विद्यासागर। वे रामलीला देख रहे थे, या कोई और नाटक देख रहे थे। सभी नाटक रामलीला हैं । और नाटक में एक पात्र है, जो एक स्त्री के साथ
प्रभु प्रसाद — परिपूर्ण प्रयत्न से
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