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लिए अमारिघोषणा करा देगे । जो जन्म से ही मांसाहारी थे, वे भी उसकी आज्ञा से दुःस्वप्न के समान मांस भक्षण की बात भी भूल जायेंगे। पूर्व में देश की रीति से श्रावकों को जिन्होंने पूर्णरीति से छोड़ा नहीं था, वैसे मद्य को यह निर्दोष राजा सर्वत्र छुड़ा देगा। वह राजा इस पृथ्वी पर मद्य को ऐसा रुंध देगा कि कुंभार भी मद्य के पात्र बनाना छोड़ देगा । मद्यपान के व्यसन से जिनकी संपत्ति क्षीण हो गई है, ऐसे पुरुष भी इन महाराजा की आज्ञा से मद्य को छोड़ देने से संपत्तिवान् होंगे। पूर्व प्राचीन समय में नल आदि राजाओं ने भी जो द्यूतक्रीड़ा को छोड़ा नहीं, वे द्यूत का नाम भी शत्रू के नाम के समान उन्मूलन कर देंगे। उसके उदयकालीन शासन चलते हुए इस पृथ्वी पर कबूतरों की पणक्रीड़ा (होड़ में परस्पर लड़ाने वाली) एवं मुर्गों के युद्ध भी नहीं होंगे । निःसीम वैभववाला वह राजा प्रायः प्रत्येक गाँव में जिनमंदिर बनवाकर संपूर्ण पृथ्वी को जिनमंदिरों से मंडित करेंगे एवं समुद पर्यन्त प्रत्येक मार्ग तथा प्रत्येक नगर में अर्हन्त प्रतिमा की रथयात्रा का महोत्सव करायेगा । द्रव्य के प्रचुर दान के द्वारा जगत् को ऋणमुक्त करके वह राजा इस पृथ्वी पर अपना संवत्सर
चलाएगा।
(गा. 25 से 77 )
ऐसा महान् प्रतापी कुमारपाल राजा एक बार कथा प्रसंग में गुरुमुख से कपिलमुनि द्वारा प्रतिष्ठित और राज में गुप्त हुई उस प्रतिमा ही बात का श्रवण करेंगे। तत्काल ही वे धूलि के स्थान को खुदवा कर विश्वपावनी प्रतिमा को बाहर निकलवा कर ले आने का मनोरथ करेगा । उस वक्त मन का उत्साह और अन्य शुभ निमित्तों के द्वारा वह राजा प्रतिमा को हस्तगत करने का संभव मानेगा । पश्चात् गुरु की आज्ञा लेकर योग्य पुरुषों की योजना करके वीतभय नगर के उस स्थल को खुदवाना प्रारंभ करेगा । उस समय परम आर्हत् जैसे उस राजा के सत्त्व से शासन देव वहाँ आकर सानिध्य करेंगे। कुमारपाल राजा के अतिपुण्य से खुदाई किये गए उस स्थल में ही तत्काल वह प्रगट को जाएगी। उसके साथ ही उस प्रतिमाजी की पूजा के लिए उदायन राजा द्वारा प्रदत्त गांवों का आज्ञा लेख भी प्रगट होगा। राजा के द्वारा नियुक्त पुरुष प्राप्त हुई उस प्रतिमा को नवीन हो वैसे यथाविधि पूजन करके रथ में पधरायेगे । मार्ग में उस प्रतिमा की अनेक प्रकार से पूजा होगी। उसके सम्मुख अहोरात्र संगीत होता रहेगा, उसके समीप गांवों की स्त्रियाँ ताली दे देकर रास करेंगी, पंचशब्द
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित ( दशम पर्व )
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