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________________ १२३ समरादित्य केवली के नव भव भव नगरी माता पिता नाम विशेष (१) क्षितिप्रतिष्ठित कुमुदिनि पूर्णचंद्रराजा गुणसेन राजपुरोहित पुत्रो (२) जयपुर श्रीकान्ता पुरुषदत्त सिंहराजा पिता-पुत्र (३) कौशांबी ___जालिनी ब्रह्मदत्त शिखीकुमार माता-पुत्र (४) सुशर्मनगर श्रीदेवी सुधन्वराजा धन पति-पत्नी (५) काकंदी लीलावती सूरतेजराजा जय दोनोभैया (६) माकंदी हारप्रभा बंधुदत्त शेठ धरण पति-पत्नी (७) चंपा जयसुंदरी अमरसेनराजा सेन पितराइ भैया (८) अयोध्या पद्मावती मैत्रीबलराजा गुणचंद्र - उज्जेणी सुंदरी पुरुषसिंहराजा समरादित्य राजा-चंडाल १२४ नलराजा एवं दमयंती सती के भव भव नगरी पति पत्नी (१) संगर मम्मणराजा वीरमतीराणी (२) देवलोक में देव-देवी हुआ (३) पोतनपुर धन्य भरवाड धुसरी (४) हेमवंत क्षेत्र में युगलिक हुआ (५) देवलोक में क्षीर कंकर एवं क्षीरकंकरा देवी हुई (६) कोशला नलराजा दमयंती (७) उत्तरदिशा के कुबेर नामक लोकपाल (नल) कुबेरदेवी (दमयंती) (८) द्वारिका कृष्णराजा की पत्नि कनकावती राणी . १२५ सुनंदा रुपसेन के सात भव सुनंदा मोक्ष में गई रुपसेन का भव : (१) रुपसेन (२) गर्भ में (३) सर्प (४) कौए (५) हंस (६) हरिण (७) हाथी (८) देवलोक मे गये। * * * * * * * * ४५)* * * * * * * *
SR No.032087
Book TitleTirthankar Vandana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnatrayvijay
PublisherRanjanvijayji Jain Pustakalay
Publication Year2006
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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