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- श्री दादाजी वृध, तथा लघु अष्टप्रकारी पूजा. ७८७
॥ ॥ फल पूजा॥॥ ॥ श्रीफल शीताफल सदा । फल पूंगीफल लेय । ढोवै जे गुरु चरणपर । तसु उत्तम फल देय ॥१॥ * ॥ (ढाल )॥ * ॥श्रीफल शी ताफल नारंगी दामम दाख । खरबूजा तरबूज जनेरी पाखी साख । करुणा कवला केला नींबू फनस सफार । गुरु चरणे फल ढोई फल पामैं श्रीका र ॥२॥ शी श्री श्रीजिन कुशल सूरि गुरुः चरण कमलेभ्यः । फलं निर्बपामिते स्वाहा ॥ ॥ इति फल पूजा॥८॥
॥ ॥8॥अघे पूजा॥ ॥ ॥ * ॥ (अथ कलश ) दूहा ॥ ॥ इम जिन कुशल सुरिंदने । पूजै अष्ट प्रकार । तमु घर नवनिधि संपजै । पुत्रादिक परिवार ॥ १ ॥ जट्टारक खरतर गडै । श्रीजिन लानमुरिंद । रत्नराजमुनि जमरपर । सेवै पद अरविं द॥२॥ तासुचरण रजकणसमो । ग्यांन सार बुद्धिमंद । श्रीसदगुरु पूजा रची। सोधोकविजन बंद ॥३॥॥ ॥ ॥ ॥ ॥४॥ इति श्रीजिनकुशल सुगुरूणां अष्टप्रकारी पूजा ॥ * ॥ ॥ * ॥ . ... ॥॥अथ लघु अष्ट प्रकारी पूजा लि०॥ ॥
॥ॐ॥ सुरनदी जल निर्मल धारया। प्रबल पुष्कृत दाघ निवारया। सकल मङ्गल वंडित दायकं । कुशल सूरि गुरोश्वरणांयजे.॥॥१॥ क्षी श्री श्रीजिन कुशल सूरिः चरण कमलेभ्यो जलं० ॥ ॥ॐ॥
॥ ॥ अथ चंदन पूजा॥ * ॥ ........... ॥॥ मलय चंदन केशर वारिणा । निखल जामयरुजा तप हारिणा। सकल०॥१॥ शी श्री श्रीजिन कुशल सूरि गुरुः चरण कमलेभ्यो चं०
॥॥अथ पुष्प पूजा॥ * ॥ ॥ ॥ कमल केतकि चंपक पुष्पकैः। परिमला हत षट् पद वृंदकै ॥ सकल०॥३॥ श्री श्री श्री जिन कुशल सूरि गुरुः० ॥ पुष्पं यया०॥३॥
॥ ॥ अथ अक्त पूजा ॥६॥ ॥ ॥ सरल तंकुल कैरित निर्मलै । प्रवर मोक्तिक पुंजवउज्वलैः। सकल मङ्गल ॥जी श्री० अक्तं ययामहे स्वाहाः॥ ॥ ॥