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श्रीपाबूजीकी पूजा. नाम कहावै । जिनवर बिंब जुहारीरे। तिहाथी प्रादस गाऊ निरखो । हणादरो सुख कारीरे॥आबू० १॥आबूगिरकी पाजे चढतां । पाप सकल परिहारीरे। ए गिर देखी सुर नर मोहै। महिमा अधिक नदारीरे॥ आ०२॥
आस पास बहु जामी सोहै । बिच मंदिर मनुहारीरे । नानिरायके नंदन क हिये । मरुदेवी मात मल्हारीरे॥० ३॥ जुगला धरम निवारण स्वामी त्रिनुवन जन हितकारीरे। नगर अजोध्या आप विराजो। आदिनाथ उप गारीरे॥आ० ४॥आदीसर अलबेसर कहिये । सबको तुं अवतारीरे। सब जोगीसर तुमकुं ध्यावै । अद्लुत कीरत थारीरे॥०५॥ तुं जय नंजन तुहि निरंजन । लोकालोक विहारीरे । जोगीसर जिनराज जगतगुरु । नेमीसर ब्रह्मचारीरे॥श्रा०६॥ तारण तरण दयानिध स्वामी । सेवकजन साधारीरे। सुमति कहै वि निरमल नावै । सेवो प्रन्नु सुखकारीरे ॥ ० ७॥ शी आबूगिरेंद्राय तिर्थसिरोमणाय श्रीआदीश्वराय दीपं यजामहेः ॥५॥ * ॥
॥ * ॥अथ अदत पूजा॥॥ ॥ ॥ दूहाः॥ अदत पूजा साचवै । नविजन मंगल काज । तीन पुंज प्रनु आगलै । करौ विक सुखसाज ॥ १॥ मंगल आठ करोसही। प्रजुआ- धरप्रेम । अमसिधि नवनिध संपजै। सुजस हुवै निततेम ॥२॥ ढाल तुमतो नलेविराजोजी सांवलिया माहाराज सिखरपर नलेविरा जोजी।तु०॥ ए चाल ॥ तुमतौ नले विराजोजी। आबूके सिरदार सिखरपर जले विराजोजी॥तु०॥ नानिरायके नंदन कहियै । तीन नवन विसरांमी। केसर चंदन मृगमद घोली। पूजो अंतर जामी॥ तुम० ॥१॥ विखम पहामां विचमैं राजै । साहिबतुं सिरनामी । आदीसर जोगीसर पूजी । वंचित सगला पामी ॥तु०॥२॥ द्रव्य नावसें पूज रचावो । मनमें आणंद पावो जर मुगताफल थाल वधावो। तीरथ महिमा गावो ॥ तु० ३ ॥ आबू गिरको ध्यान धरावो । तपस्यासुं फलपावो । घरसारू बलिदान दिरावो संघनगत करवावो ॥तु०४॥ अचलगढै जिनदरसण करवा । संघसकल मिल
आवै । आदीसर नेमीसर पूजी। मनबंगित सबपावै ॥तु० ॥५॥ तीरथ महिमा चविजन करियै । दिलमैं जावजधरिये । सुमतिकहै तन मन कर नाल ।