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जंबुद्दीव संघयणी.
५५५ रि जिणहंस मुणीसर । रो सिरि धवलचंद सीसेण । गज सारेणं लिहिया । एसा विन्नत्ती अप्पहिआ॥४२॥ इति दमक प्रकरणम् ॥
॥ ॥अथ श्रीलधुसंघयणी लि० ॥४॥ ॥ ॥ नमिय जिणं सबन्नु । जग पुड जगगुरु महावीरं । जंबूद्दीव प यत्थे । वुवं सुत्ता सपरिहेक ॥१॥ खंमा जोयण वासा । पचय कूडाय तित्थ सेटीन । विजयदह सलिलान । पिमेसि होइ संघयणी ॥ २॥ ननय सयं खं माणं जरह पमाणेण नाइए लक्खे । अहवा ननअ सय गुणं । नरह पमाणं हवा लख्खं ॥३॥ अहबिग खमे नरहे । दो हिमवंतेअ हेमवई चनरो। अह महा हिमवंते । सोलस खंमाइ हरिवासे ॥ ४ ॥ बत्तीसं पुण निसढे । मि लिया तेसहि वीय पासेवि। चनसहिन विदेहे । तिरासि पिंमेइ नन असय ॥५॥जोयण परिमाणाई । समचनरंसाई इज खंगाई । लरकस्सय परि हीए । तप्पाय गुणेय इंतेव ॥६॥ विख्खन वग्ग दहगुण । करणी वदृस्स प रिरन होई । विक्खंन पाय गुणिना परिरने तस्स गणिय पयं ॥ ७॥ परहि तिलक्ख सोलस । सहस्स दोय सय सत्तवीस हिया । कोस तिगं अहावीसं। धणुसय तेरं गुलचहियं ॥८॥ सत्तेवय कोडिसया । नना उप्पन्न सय सह स्साई । चनणनयंच सहस्सां । सयं दिवढंच साहियं ॥९॥ गानप्र मेगं पन्न रस । धणुसया तह धणूणि पन्नरस । सचि अंगुलाइ। जंबुद्दीवस्स गणियपयं ॥१०॥ जरहाइ सत्तवासा। वियट्ट चन चन रतिं सवहियरे । सोलस बक्खार गिरि। दो चित्त विचित्त जमगा॥११॥दो सय कणय गिरीणं । चन गय दंताय तह सुमेरूय । उ वासहरा पिमे । एगुण सत्तरि सयानि ॥ १२ ॥ सोलस वख्खारेसु । चन चन कूडाय हुंति पत्तेयं । सोमणस गंधमायण । सत्त ध्य रुप्पि महाहिमक॥१३॥चनतीस वियद्वेसु। विझुप्पह निसट्ट नील वंतेमु । तह मालवंत सुरगिरि । नव नव कूडाई पत्तेयं ॥१४॥ हिम सिहरिसु श्क्वारस। इय इगसही गिरिमु कूडाणं । एगत्ते सबधणं । सय चनरो सत्त सहीय॥१५॥ चन्सत्त अध्नवगे। गारस कूमेहि गुणह जहसंखं । सोलस गुणयालं ।
वेय सगसह सयचनरो ॥ १६ ॥ चनतीसं विजएसु । नसुकूमा अहमेरु जंबुम्मि । अध्य देव कुराई। हरी कूम हरिस्सहेसही॥१७॥ मागह वरदाम