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रत्नसागर.. थरे॥१०॥बी०॥६॥ नमि बिनमि दोदो कोमसें रेलाल। इणगिरि कीनो वासरे॥०॥ फागुण सुद दसमी दिने रे लाल । अविचल ज्योति प्रका शरे॥० ॥७॥नमि पुत्री चौसठ कहीरे लाल । अणशण लही शिव पायरे॥१०॥द्रावड संग काती पूनमें रेलाल । दसकोमि सीधा इहां आ यरे॥०॥बी०॥८॥राम जरत पांमव कह्यारे लाल । बलि नारद नव आयरे॥न॥थावचा सेलग मुनीरेलाल । जालि मयाली शिव पायरे। ज०॥बी०॥९॥अजित शांति चौमासो रह्यारे लाल । विजीवां हित काजरे॥०॥ नेम विना सहु आवियारे लाल । एशिव पुरनी पाजरे। न०॥बी०॥१०॥ साधु अनंता प्रतिकंकरे रे लाल । सीधा ध्यान लगायरे ज०॥ मनमोहन गिरि सेवतांरे लाल । पातिक दूर पुलायरे ॥४०॥ बी० ॥११॥ (उहाः)॥ करजोमी नितप्रतिनमुं । सहू साधु मननाय । सेनुं ज महातम ग्रन्थसें । नेद सुणो चितलाय ॥१॥ जरता दिकसे आजलग सोले नचार कहाय । ग्रंथान्तर में जेहना । नेद कह्या समझाय ॥२॥सं प्रतिकाले एरह्यो । षोडसमो नचार । करमचंद मोसी तणो। जशरह्यो जग वि स्तार ॥३॥ देव नुवन जिम सोजता । नवबसि चैत्यना नाव । मुरपति नर पति सहुनमें । प्रगट्यां आतमदाव ॥४॥सहु बिंबनी संख्या कहुं । जेनव बसिमें होय । मूलनायक वसिनांममें । प्रगट कहुं जोय ॥५॥ (ढाल३) ॥ ॥ नमोरे नमो सेजेजगिरीरे। (ए चाल)॥8॥प्रणमुं ए गिरिरायनेंरे। धन्य दिवस थयो आजरे । सुमताने सुपसायथीरे। मनबंबित फल्या काजरे ॥१॥प्र०॥ प्रथम बिमल बसि आयनेंरे । पूज्या जिनप्रति बिंबरे । सहु चैत्यामें सोनतारे । उप्पनसै उप्पन बिंबरे ॥२॥प्र०॥ नानिराय सुत जा णियै रे । मूल नायक उवि शांतिरे । मोतीबसीमें बिंबरह्यारे । पचवीशसै बया लीस क्रांतिरे॥३॥प्र०॥ बालावसिमें सोनतारे । च्यारसै षट् बिंबजाणरे । मूलनायक दोनुं बसीतणारे । आदिनाथ गुणखांणरे ॥ ४॥०॥ अद्भुत बिंब मनोहरूरे । इग्यारै कर ऊंचो जाणरे। विस्तारमांन नवहाथनोरे। मुमब लन जिम प्राणरे ॥५॥ प्र० ॥ चौथी प्रेमाबसि हुँ नमुरे । आदिनाथ जग नाथरे । पांचसे अमतीश जिहां रह्यारे । बिंब मिख्यां सहु साथरे॥प्र०