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श्रीशिखरजीको रास.
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नव जगदीस ॥ ३ ॥ तीन लाख वलि सहस त्र्याएं श्रावक लोक । षट्लख सहस बत्तीस श्रावणी संख्याथोक । त्रिमुख यक्ष अरु पुरितादेवी सानिध कार । बिचरंतां प्रजु सकल संघमें जय जय कार ॥ ४ ॥ सहस भ्रमण परिवारै प्रभुजी शिखर समेत । एकमास संलेखणकीनी निज पदहेत। इस गिरि ऊपर पायो प्रभुजी पढ़ निरखां । तीरथमहिमां महियल मोटी थइय सुजाण ॥ ५ ॥ * दुहा ॥ प्रभिनंदन जिन वंदियै । पायो पद निवांण । शिखर समेत सुहामणो । नेटो तीर्थसुजाण ॥ १ ॥ सहसश्रमणसुं सुकसंजमधरो एचाल ॥ * ॥ नगरी अजोध्या सुरपुरी समजली। संबरराजा सोहेमनरली । सिद्धार्थ राणी तसुनंदए । अभिनंद जिन प्रगट्याचंदए ( नल्लालो ) चंदए सोवन वरणसोहै धनुष साढीतीनसे । सुंदर शरीर प्रमाण द्युतिकर कपिलंबन तेति बसे । पूर्वजाख पचास आयु गणधर इक्सो सोलए । तीनलाख मुनि लाखार्या सहस त्रिसत्सोलए ॥ १ ॥ ( चाल ) सहसयासी दोलख श्राद्धनी । संख्या चौलखसत्तावीसनी । श्रावकएयांरी संख्या जाणए । नायक यह कालिकाठाण ( नल्लाजो ) ठाणए शिखर समेत ऊपर मासएक संलेख ा। इकसहस साधू परवरथा प्रभु मुक्ति पहुचे पेषणा । इमही अयोध्या मेघ नरवर देवी मात सुंमगला । श्रीसुमति जिनवर नए नंदन सदाहोत सुमंगला ॥ २ ॥ (चाल) सोवनवर्ण धनुषतनुतीनसै। लंबन क्रौंच सोहै सुन हसे। पूरब लाख पच्यासी आए। इकसौ गणधर गुणगण जानए (नहालो ) जानए मुखि सो सहसवीस प्रमाणए। पलक त्रीस हजार साध्वी श्रावक दोय लक्षजाणए । संख्या इक्यासी सहस ऊपर श्रावका इम प्रानीयै । पणलाख सोले सहस तुंबरु महाकाली मांनीये । श्रीशिखर ऊपर सातसंख्या सहस साधुसुरंगए । करमासकी संलेखणा प्रभुमुक्तिपुहता चंगए ॥ ३॥ (चाल) इम कोसंबी नगरीतातए । धरनृपतात सुसीमामातए। पद्ममनुतसु अंगजना थए । लंबनकमल तणो सुमहाथए ( नल्लालो ) हाथए धनुषप्रमाणपुरा ढा ईसै तनुकहो | तीन लाख पूरब थितकहावै एकसोगणधर जहौ । लखतीन ती सहजार साधू वीससहस लखच्यारए । साधवी दोयलख सहस बिहंतर श्राव कसंख्या सार ॥ ४ ॥ ( चाल ) पांचलाख बलि पांचहजारए | श्रावकरयांरी