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समर्पणपत्रिका.
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जगतश्रेष्ठिगुरु पूज्यपादश्रीहर्षचंद्रसूरीश्वरचरणानुचर
__पंडितप्रवरश्रीमुक्तिचंद्रगणिसुशिष्यश्रीमन्नागपुरीय-बृहत्तपगच्छाधिराज-युगप्रवराचार्य जंगमतीर्थराजतुल्य-सहस्राष्टश्रीयुत-परमपूज्य सद्गुरु-भट्टारक-श्रीभ्रातृवंद्रसूरीश्वर महाराज !
आप श्रीमान् सेवक जनमनवांछितपूरक कल्पवृक्षसदृश हता, सत्यप्रवचनोपदेष्टा होवाथी भविजीवोद्धारक -भविजनतारकप्रवहणरूप हता, प्राचीन जैनशैली मुजब विधिपरंपरा पदधारक शुद्धक्रियानुष्ठानवंत हता, शांत रसना समुद्र, सुरूपगुणाकर, वचनातिशयवंत, चारित्रपात्रचूडामणि, कुमतांधकारनभोमणि हता, अने मुनिजन मनमानसहंस होइ उग्रविहार युक्त भारतभूमंडलमां विचरी स्वपरनुं सदा कल्याण कर्या करता हता. इत्यादि प्रातःस्मरणीय सद्गुणोथी लोभाइ आकर्षायला मनोभावसह, आप परमोपकारी गुरुराजना सद्गुणोनुं
सदैव स्मरण रहेवा हितार्थ आ "श्रीजैनरास संग्रहः । प्रथमभागः" नामक परम लाभदायि पुस्तक समर्पण
करी अत्यानंद पामुं हुं ते आप सेवक श्रेयकारी मा स्वीकारी लइ आभारी करशोजी ! SaE93:CENSE:GOJAE