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________________ भ्रमविध्वंसनम् । इहां श्रुत ना दश नाम कह्या तिण में आगम नाम श्रुत नो कह्यो । अने अनुयोग द्वार मा अर्थ ने आगम कह्यो ते कहे छै । “तिविहे आगमे प० तंत्र - सुत्तागमे अत्यागमे तदुभयागमे " ए अर्थ रूप आगम कहो भावे अर्थ रूप श्रुत कहो आगम नाम श्रुतनों हीज छै । इत्यादिक अनेक ठामे अर्थने श्रुत कह्यो ते माटे श्रावकां ने अर्थ रूप श्रुत ना जाण कहीजे । ३७२ तिवारे कोई कहे - जे तमे कहो छो श्रावकां ने सूत्र भणवो नहीं तो आवश्यक अ० ४ श्रावक पिण तीन आगम ना चवदे अतीचार आलोवे तो जं श्रावक सूत्र भणे इज नहीं तो अतीचार किण रा आलोवे तेहनों उत्तरए. सूत्र रूप आगम तो श्रावक रे आवश्यक सूत्र अर्थात् प्रतिक्रमण सूत्र आश्रयी है । तिवारे कोई कहे जो श्रावक ने सूत्र भणवो इज नहीं तो आवश्यक अर्थात् प्रतिक्रमण क्यूं करे तेहनों उत्तर- आवश्यक सूत्र भणवारी तो श्रावक नें अनुयोग द्वार सूत्र में भगवान् नी आज्ञा छै । ते पाठ कहे छै I 1 "समणे णं सावएणय अवस्सं कायव्वे हवइ जम्हा अन्तो अहो निसस्साय तम्हा आव वस्सयं नाम० " साधु तथा श्रावक ने बेहूं टंक अवश्य करवो तेह थी आवश्यक नाम कहिए। तेणे कारणे आवश्यक सूत्र आश्रयी सूत्रागम ना अतीचार आलोवे पिण अनेरा सूत्र आश्रयी न थी । तथा अनेरा सूत्र पाउना रसा कसा वैराग्य रूप केई एक गाथा श्रावक भणे तो पिण आज्ञा बाहिर जणाता न थी । ते किम तेह नों न्याय कहे छै । साधु ने अकाल में सूत्र नहीं वाँचचो पण रसा कसा रूप एक दोय तीन गाथा वांचवारी आज्ञा निशीथ उद्देश्ये १६ दीनी छै । तिम श्रावक पिण रसा कसा रूप सूत्र नी गाथा तथा बोल बांचे तो आज्ञा बाहिरे दीसे नहीं। तथा ज्ञान ना चवदे अतोचार मा कह्यो “अकाले कओ सिकाओ काले न कओ सिज्झाओ" ते पिण आवश्यक सूत्र आश्रयी जणाय है । तिवारे कोई कोई कहे - श्राबक न सूत्र नहीं भणवो तो राजमती ने बहुश्रुति क्यूं कही अनें पालित आवक ने पण्डित क्यूं कह्यो इम कहे तेहनो उत्तर--प पिण अर्थ रूप आश्रयी बहुश्रुति तथा पण्डित कह्यो दीसे छे । पिण सूत्र आश्रयी कह्यो दीसे नहीं | क्यूं कि कालिक उत्कालिक सूत्र अनुक्रम भणवो तो साधु ने हीज को छै पिण श्रावक ने कह्यो न थी । अनें गोतमादिक साधां में कोई चवदे पूर्व
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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