SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 408
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ माज्ञाऽधिकारः। - इहां बे वार उपरयो वनीं। रिगं एक बार न वर्जी । ए नाभि प्रताण किम आणि: । "लंरिका ' सरिता चांहि नथा जंघादिके करीने न उतरवी कही। ने पाए , ना धणों पाणी छे ते माटे नावाइ करी कही । वे वार वों ने मारे गाल प्राण तथा नावा पिण एक मासमें एक वार उतरवी कल्पै । अनें अर्थ जड़ा पीडी प्रमाण कुञ्जला नगरी समीपे ऐरावती नदी वह ते सरीखी नदी तिहाँ एक पग जल ने विवे एक पग स्थल ते भाकाश में विषे इम एक मासमें ये वार लिग वार उतरवो। “संतरितएवा" कहितां बार वार उतरवी कल्पे इहां अई जना पिण्डो प्रमाण.नदी १ मास में ३ वार उतरवी कही। ए नदी उतरवा नी श्री कर्थिङ्करे अशा दोश्रो ते माटे जिन आशा में पाप नहीं। अने नदी उतरे तिण में पाप हुवे तो आशा देवा बालों ने पिण पाप हुवे। अनें जो आज्ञा देणवाला में पाप नहीं तो उतरगवाला ने पिण पाप नहीं। मुद्दे तो साधु ने जिन आज्ञा पालवा। किमाइक कार्य में जीव री घात छै. पिण ते कार्य री जिण आज्ञा छै तिहां पाप नहीं। झिणहिक कार्य में जीव री घात नहीं पिण तिण कार्य में जिन आज्ञा नहीं ते मतिना पाप छै। तिम नदो उतसां में जन आज्ञा छ ते माटे पाप नहीं। तिबार काई काहे । जा नदो उतसां पाप न हुवे तो प्रायश्चित्त क्यू लेवे। तहनों उतर-ए प्रायश्चित लेवे ते नदी उतरवा रा कार्य रो नहीं छ । जिम भगवन्ते कह्यो। “एग पावं जले किच।” “एगं पायं थले किश्चा” इम उतरणी भायो नहीं हुवे, कदाचित् उपयोग में खामी पड़ी हुवे ते अजाण पणा रूप दोष रो प्रायश्चित्त इरिया वहिरी थाप छै। जो इरिया सुमति में विशेष खामी जाणे तो वेलो तथा तेलो पिण लेवे, ए तो खामी रो प्रायश्चित्त छै पिण नदी रा कार्य रो प्रायश्चित्त नहीं। जिम गोचरी जाय पालो आय साधु इरियावहि गुणे, दिशा जाय पालो आय में इलिावहि गुने, पडिलेहन करी ने इरियावहि गुणे. पिण ते गोचरी दिशा. पडिलेहण. रा कार्य रो प्रायश्चित्त नहीं। ए प्रायश्चित्त तो कार्य करतां कोई भाज्ञा उल्ला में अजाण पणे दोष लागो हुवे तेहनों छै। जिम भगवान् कह्यो तिम करणी न भायो हुवे से खामी नी इरियाचहि छै। पिण ते कार्य रो प्राश्चयत्ति
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy