________________
भ्रम विध्वंसनम्।
-
कीधो ते प्रमाण करियो के केवल ज्ञान उपना पछे कह्यो ते बचन प्रमाण करिवो। उत्तम जीव विचारि जोइजो। केवली नो बचन प्रमाण छै। ए लब्धि फोड़नी तो भगवान् सूत्र में ठाम २ वर्जी छै। ए वैक्रिय तथा तेजू लब्धि फोड्यां उत्कृष्टी ५ क्रिया कही ते माटे ए लन्धि फोडन री केवली री आज्ञा नहीं छै। डाहा हुवे तो विचारि जोइजो।
इति १ बोल सम्पूर्ण।
तथा वली आहारिक लब्धि फोड्यां पिण ५ क्रिया लागे इम कह्यो छै। ते पाठ लिखिये छै ।
जीवेणं भंते आहारग समुग्घाएणं संमोहए संमोहणित्ता जे पोग्गले निच्छुभइ तेहिणं भंते ! पोग्गलेहिं केवइए खेत्ते आफुगणे केवइए खेत्ते फुडे गोयमा! शरीरप्पमाण मेत्ते विक्खंभ वाहल्लेणं आयामेणं जहरणेणं. अंगुलस्स संखेति भागं उक्कोसेणं संखेज्जाइजोयणाई एगदिसिं एवतिए खेत्ते एगसमएण वा दुसमएण वा. तिसमएण वा विग्गहेणं एवति कालस्स आफुगणे एवति कालस्स फुडं तेणं भंते ! पोग्गला केवइका कालस्स निच्छुवति गोयमा ! जहणणेणं वि उकोसे रणवि अंतोमुहुत्तस्स । तेणं भंते ! पोग्गला निच्छूढा समाणा जाई तत्थ पाणाई भूयाई जीवाइ सत्ताइ अभिहणंति जाव उदवंति तओणं भंते ! जीवे कति किरिए गोयमा! सियति किरिए सिय चउकिरिए सिय पंच किरिए।
( पन्नवणा पद ३६ )