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श्रावक जीवन-दर्शन / २६५
विश्वप्रशंसनीय महाविदेह में रहे तीर्थंकर भी इस सिद्धगिरि की प्रशंसा करते हैं । महाविदेह में रहने वाले भव्य जीव भी इस तीर्थ का स्मरण करते हैं ।
सुस्थान में बोये गये बीज की भाँति इस शाश्वतप्रायः तीर्थ में यात्रा, स्नात्र, पूजा, तप तथा दानादि करने से अनन्त फल प्राप्त होता है । कहा भी है-
शत्र ु ंजय का ध्यान करने से एक हजार पल्योपम के पापकर्मों का धारण करने से एक लाख पल्योपम के और शत्रु ंजय के मार्ग पर चलने से कर्मों का क्षय होता है ।
क्षय होता है । अभिग्रह एक सागरोपम के पाप
शत्रु जय पर आदिनाथ प्रभु के दर्शन करने से, नरक व तिर्यंच दो दुर्गतियों का नाश होता है । वहाँ पूजा और स्नात्र महोत्सव करने से एक हजार सागरोपम के पाप नष्ट होते हैं ।
पुण्डरीकगिरि की ओर एक-एक कदम चलने से करोड़ों भवों में किये गये पापों से आत्मा मुक्त होती है ।
अन्यत्र शुद्धबुद्धि वाला प्रारणी करोड़ पूर्व पर्यन्त शुभ ध्यान से जितने शुभ कर्मों का बन्ध करता है, उतने शुभ कर्म का बन्ध यहाँ मुहूर्त मात्र में हो जाता है ।
क्रोड़बार इच्छित आहार कराने से, जितना फल मिलता है, उतना फल शत्र ुंजय तीर्थं पर एक उपवास करने से मिल जाता है ।
जो प्रारणी शत्रु ंजय तोर्थ को वन्दन करता है, उसे स्वर्ग, पाताल और मनुष्यलोक में रहे समस्त तीर्थों के वन्दन का लाभ मिलता है ।
शत्र ु ंजय महातीर्थ के दर्शन किये बिना संघ या साधु की भक्ति करने से क्रोड़ गुना तथा दर्शन करने पर भक्ति करने से अनन्त गुना फल प्राप्त होता है । मन, वचन और काया से शुद्ध होकर घर में बैठे-बैठे शत्रु ंजय का स्मरण करता हुआ नवकारसी, पोरिसी, पुरिमड्ड, एकासरणा, प्रायम्बिल, उपवास करें तो उसे क्रमश: छट्ट, अट्टम, ४ उपवास, ५ उपवास, १५ उपवास एवं मासखमण का लाभ प्राप्त होता है ।
शत्र ु ंजय तीर्थ पर पूजा-स्नात्र आदि से जितना लाभ प्राप्त होता है, उतना लाभ अन्य तीर्थों में स्वर्ण, भूमि और अलंकारों के दान से भी प्राप्त नहीं होता है ।
शत्र ु ंजय पर धूप करने से पन्द्रह उपवास का, कपूर का धूप करे तो मासखमरण का और साधु को गोचरी बहोराने से कार्तिक मास में किये मासखमरण का लाभ प्राप्त होता है ।
जल के स्थान तो बहुत होते हैं, परन्तु जल का निधि तो सागर ही है, उसी प्रकार अन्य सब तीर्थ हैं, जबकि यह महातीर्थ है ।
जिसने इस तीर्थ की यात्रा से अपने स्वार्थं ( परमार्थ ) को सिद्ध नहीं किया, उसके जन्म, जीवन, धन व कुटुम्ब से भी क्या मतलब है ?