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अभमानानमुद्राक्षमालापुस्तकधारिणी|.. -----.. ........ त्रिनेत्रा पातु मां पाणी गयषालेन्दुमण्डिता ----------- .
..................-------सरस्वती मनाकल्या Hity
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6.-मुनिसुन्दर २२रि - -----
तादात्येन समस्तषस्तुनिळरान्स्यायसम्य या संस्थिता।
निर्व्यापारतया भषेयसदिमाशेषं जमा जमद यां बिना। मीणापुस्तक मराललुलितं पत्ते च रूपं पहि। पूजा अपनत्रयस्य विशवतानस्यरूपाऽपि या ॥६॥
-शारयास्तयाष्टकम् (२२स्त ५नि।
सस्त माला inराना शिवाय सामजिम मसती26tra Arj रोष ने प.हे नि
mi, बनल्या मोरम CAD पुसता सार) Antस. Gu२ माला Main पर नरेन निमल. 1. M. Irfa.moted Healin uj. ३४- स्व
- - सरस्पती मया दृष्टा, बीणापुस्तकपारिणी ।:-- ... सपाहनसंयुक्ता, पिधायानपरप्रया -
.सरस्वतीस्तोत्र. 40 पु
र ),रंसी वा माया WATER रझारा सरल
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आरता येतसे श्रमति य गगने दक्षिणे चाक्षस्त्रं ...-------------मामे हस्तेच विण्याबरकनकमयं पुस्तकं सानगम्या|
सा षीणां भावयन्ती स्पकरकरमपैः शास्त्रपितानशब्दः. .क्रीडन्ती दिव्यरुपा करकमलधरा भारती सुप्रसन्ना॥
(AA मा यो ) --