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________________ पद्मा पद्माखिदिमियों सहनिधिनिचयैः रच्युताभ्रूण च्युताशानी पाला पाला मुपास्ते हन्डरएपरा भूति भूति प्रभीतः / सधः संघद्दूरापं तदियशुभाविभा भासुराणां सुराएंगे। ग्य विहाया प्यतिवितरतु वो भारती भारती सा!! ६.७० अङ्गिः कूर्मस्तथोरूर्भुजगविभुरभून मेखलाब्धिश्च यस्याः । श्रोणि क्षोणीच वक्षो विबुधगिरिरुहो भूषण घीष्ण्यसंघः "बाडू पूर्वासू शैलो कुचकलशयुगे चदिनस्तोहिनोन्द्री नेचे चन्द्रोष्ए रश्मि मुखमवतु. लसद् ब्रह्म सां.नागूथागः ॥ ७१॥ शुभ्रं ज्ञाने सुत्र शुभज्ञा जगतिगजगतिः शुद्धताएँ सुकान्ता दद्यादानन्द कन्दा गमनुतिग तनु वस्तु साचिद्वतसा । सूर्य स्थानातु षस्था तनुबिंभृतकवि विश्वमायाविरामाः । विदेशा विश्वेशा वाग‌विलासा नियतिमुनिनुति जन्तु माता ज्यो मा।।७२।।,
SR No.032031
Book TitleSarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages124
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size16 MB
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