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अरे मने ज्यारे लाखो साधुओ बावाओ फकीरो छपन्न लाख याद आव्या त्यारे मने विचार थयो के का ए मांहोमांहे चीसकारी पाडता अने गुरकी गुरकी करता अने हरामनी रोटी खानारीओ ए क्या ? आत्मानी साक्षीए कह्यु छे के, में मारी जिंदगीमां खरेखरो आनंद मेलव्यो होय तो आ महान पुरुष शांतिविजयनीनां चरणोना ज्यारे में दर्शन कर्या त्यारेज मने आनन्द थयो छे-भूतकालमा जे महान् पुरुषो थई गया छे ते कोटीमा पोते अत्यारे शहजमां आवी ऊभा छे, एमनो जे भोलो देखाव जे ऊपरनो देखाय छे के आतो कोई छोकरा जेवा बाबा भोला देखाय छे, पण ए महान पुरुषनां अंदरना तत्वो घणाज उत्तम अने जेनी गति पण गहन छे, ए महान् पुरुषने ओलखवा माटे महान शक्तिवाळो होय तो पण काईक अंशेज लांबा टाइमने समजी शके छे, कोण कहे छे के भारतमा अमृतगंगा नथी? कोण हे छे के दुनियामां कल्पवृक्ष नथी? में तो एम मान्यु हतुं के ए तो कोई मंत्रवादी देवी उपासक हशे, पण ए तो कलीकालमा अलौकिक योगनो खरेखरो अनुभव मेलवेला महान पुरुष छे. अरे ! में तो भाटला वरस सुधी भुलज खाधी, कारणके मारी मति कल्पनाए तो मने खरेखरो दगो दीधो कारणके मने ओलखतां आटला वरस लागी गयां, हुं ए महान पुरुषनी तारीफ नथी करतो, पण ए सत्यनो संदेशो जगत्ने अन्धकारमाथी अजवालामां आववा माटे कहुं छं, ए महान् पुरुषना गुणो तो घणा छे, पण केटलुं लखी शकाय ? मने तो लाग्युं के पोते बीजाना मनना विचारो बहु सारी रीते जाणी शके छे. अरे ! कहेवू न कहेवू तो एमनी मरजीनी वात छे, एमने माटे मारे शु शब्दों संबोधवा ते काई हुं समजी शकतो नथी. ..
प्रभुदास अमृतलाल महेता. दुनियामां महान आदर्शमां आदर्श पुरुष होय तो ते शांतीविजयजी छे.
xxxx कुदरती शक्तिओ खरेखर पुज्य गुरुदेव शांतीविजयजीनेज प्राप्त थई छे.
जो मनुष्य गुरुजीनो खरेखरो दावो करी शके तो शांतीविजयजी खरेखरा गुरुजी कही शकाय.
स्वर्गीय पंजाबकेशरी लाला लजपतरायके,
उर्दू वन्देमातरम्पत्र लाहोरमेंसे.
ज्यारे इंदोरथी हमो आबु जवा माटे नीकळया, त्यारे टाइम्स आफ इन्डीया वांचता तेमा आबुमां महात्मा श्री शान्तीविजयजी रहे छे अने ते एक (वंडरफुल) अनवशक्ति धरावे छे; कारण के तेओश्रीने युरोपीय, पारसी, जैन, मोहमे इन अने हिंदु, दरेके दरेक पुज्य माने छे, त्यारे हमारा मनमां पण विचार अंओं के हारे पा र मोनोने अj नोईर,