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________________ करके, उन्हें उस व्यक्ति के लिए उचित कार्यवाही करने की बिनती करेगी। किन्तु यदि इस बारे में उचित कदम न उठाया गया तो समिति, उस विभाग की प्रादेशिक समिति की सलाह से, ऐसी क्षति करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करेगी। (आ) समिति श्रावकसंघ के संचालन में जहाँ कहीं भी त्रुटियाँ देखी जायेगी उन्हें दूर करने का, और अव्यवस्थित चलनेवाली संस्था को व्यवस्थित करने का, तथा श्रीसंघ को उसकी वास्तविक स्थिति से अवगत करने का सब प्रकार से प्रयत्न करेगी। (इ) श्रीसंघ की एकता को हानि पहुंचानेवाली हरेक परिस्थिति व प्रवृत्ति को दूर कर श्रीसंघ संगठित बने, इसके लिए समिति द्वारा आवश्यक सभी उपाय किये जायेंगे। (उ) हर प्रकार से जैनधर्म की प्रभावना बढे इसके लिए समिति सदा प्रयत्नशील रहेगी। (ऋ) श्रावकसंघ की धर्मभावना स्थिर रहे, उसमें अभिवृद्धि होती रहे, और उसका अभ्युदय हो ऐसे उपायों को सोच कर समिति उन्हें अमल में लायेगी। यह सम्मेलन अन्तःकरणपूर्वक चाहता है और आशा करता है कि अनेक आचार्य महाराजों एवं कई जैन अग्रणियों की हार्दिक भावना की प्रतिध्वनि के फलस्वरूप निर्मित इस समिति को पूज्य आचार्य महाराजों आदि श्रमणसमुदाय के आशीर्वाद एवं श्रमणोपासक श्रीसंघ की शुभेच्छाएं प्राप्त होंगी और समिति के द्वारा उठाई गई महान जिम्मेदारियों को संपन्न करने में उन सबका सम्पूर्ण साथ व सहयोग रहेगा। ___अंत में, यह सम्मेलन अन्तःकरणपूर्वक यह चाहता है और प्रार्थना करता है कि श्रमणसमुदाय में कहीं कहीं जो शिथिलता
SR No.032018
Book TitleShwetambar Murtipuja Sangh Sammelan Prastav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAkhil Bharatiya Jain Shwetambar Murtipujak Shree Sangh Samiti
PublisherAkhil Bharatiya Jain Shwetambar Murtipujak Shree Sangh Samiti
Publication Year1963
Total Pages14
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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