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॥ समर्पण ॥
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5.502 50
परमपूज्य विद्वद् शिरोमणि,
सर्वमान्य समतारससागर,
25.2
श्रीमान् जयविजयजी महाराज साहब
के कर कमलो में यह परिशिष्ट पर्व. सादर समर्पित है ।
आशा है कि आप साहब इस लघु ग्रन्थको प्रेमपूर्वक स्वीकार कर मुझे अनुग्रहित करेंगे।
भवदीय कृपाकांक्षी.
मुनि तिलकविजय.
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