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नमः श्री वीनदोषाय !!
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परिशिष्ट पर्व .
- अर्थात् - . ऐतिहासिक पुस्तक.
भाग १ ला.
हिन्दी अनुवाद लेखक, स्वगीय जैनाचार्य श्रीमद्विजयानन्दमरि (श्रीमात्मा रामनी ) के प्रशिष्य मुनि महाराज श्री
ललितविजयजीके शिष्य मुनि श्रीतिलकविजयजी.
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प्रकाशक. प्रथमा- श्रीमात्मनिलक ग्रंथ मोसायटी-जामनगर.वि
श्री वीर मं. २४४३ श्री आत्म सं. २२. विश विक्रम म.
इसवीसन १९१७ । छपा. मूल्य-रू. -.-८
मापनगर