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___ इस ग्रन्थमें भगवान् श्रीमहावीरखामीके बाद उनके पट्टपर जो जो आदर्शजीवी पुरुष होगये हैं उन महात्माओंका इतिहास है अर्थात् श्रीमहावीर भगवानके बाद उनके अन्तिम गणधर श्री सुधर्मस्वामी, उनके शिष्य अन्तिमकेवली श्रीजंबूस्वामी, उनके शिष्य प्रथम श्रुतकेवली श्रीप्रभवस्वामी, उनके शिष्य श्रीमान् शय्यंभवसरि, उनके शिष्य श्रीयशोभद्रसूरि, उनके शिष्य श्रीभद्रबाहुसूरि तथा श्रीसंभूतिविजय, उनके पट्टधारी अन्तिम श्रुतकेवली, श्रीस्थूलभद्रसरि, आदि सत्पुरुषोंकी जीवनचरिया है, जिसमें अन्तिमकेवली श्रीजंबूस्वामीका पवित्र चरित्र १८ कथाओं सहित विस्तारपूर्वक लिखा गया है । मगधाधिपति श्रीश्रेणिक भूपालसे कोणिक, उदायी, नवनन्द, चन्द्रगुप्त, बिन्दुसार, अशोक, कूणाल तथा संप्रति आदि राजाओंकी राज्यप्रणाली, इत्यादि विषयोंका सरल हिन्दी भाषामें परिचय दिया गया है । हमे आशा है कि इस ग्रंथको पढ़कर हिन्दी भाषा भाषी हमारे जैनबन्धु अपने प्राचीन इतिहाससे परिचित होगे ।
पुस्तक बड़ा होनेके भयसे इसके "दो भाग" किये गये हैं, अत एव पाठकोंसे निवेदन है कि इस ग्रंथका " दुसरा भाग" भी अवश्य पढ़ें। श्री वी. सं. २४४३, .
श्री आत्म सं. २२ · विक्रम सं. १९७३ वैशाख शुक्ल चतुर्दशी, मुनि तिलकविजयजी पंजाबी.
जामनगर, हरनी जैनशाला.. j