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परिच्छेद.] अठारा नाते. जमीनपर गिर पड़ा, उठनेको असमर्थ होकर भूख-प्यासादिकी दुस्सह वेदनाओंको सहन करता हुआ कालधर्मको प्राप्त हुआ । अब रात्रिके समय गीदड़ आदि वनचर जानवरोंने उसे गुदाकी तरफसे खाना शुरु कर दिया और खाते खाते उन्होंने उसकी गुदाको एक दरवाजेके समान बना दिया । अब उस दरवाजेके अन्दरसे अनेक प्रकारके जानवर प्रवेश करके उसके पेटका मांस खाते हैं और अपना अपना पेट भरके निकल जाते हैं। इस प्रकार रोजके रोज जंगलके अनेक जानवर उसे अपना रसोई खाना समझकर वहां पेट भरजाते हैं और पेट भरनेपर अलमस्त होकर जंगलमें घूमते हैं, दिनके समय कौवे भी बहुतसे वहां आकर अपना पेट भरते हैं और कितने एक तो उनमें से उस करिकलेवरको देखकर चौंचको ऐसा पनाते हैं जैसे श्राद्धके प्राप्त होनेपर द्विज लोग अपनी मूंछोंपर ताव देते हैं । अन्य कौवे अपना पेट भर जानेपर सभी उड़ जाते थे परन्तु एक कौवा ऐसा मांस लोलपी था कि वह सारा दिनभर मांस खाता हुआ भी तृप्त न होकर रातको भी उस करिकलेवरमेंही रहजाता था । रातदिन काष्टमें घुणके समान अधिकाधिक उस करिकलेवरको खाता खाता वह हाथीके हृदय तक पहुँच गया । अब वह गुदाद्वार जो गीदड़ आदि वनचर जानवरोंने भठीके समान बना दिया था, ग्रीष्मर्तुके प्रचंड सूर्यके तापसे सूककर संकुचित होने लगा, थोड़ेही दिनोंके बाद वह गुदाद्वार तापसे ऐसा मिल गया कि जिसमें शुचि प्रवेश भी न हो सके । अब वह कौवा बंद किये करंडियों सपके समान उस निरुद्धद्वार करिकलेवरके अन्दरही रहता है, वर्षाऋतुके आनेपर पानीके प्रवाहसे वह करिकलेवर नर्मदा नदीकी धारामें जा पहुँचा । 'नर्मदा' की वेगवाली तरंगोंसे प्रेरित हुआ
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