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केवल एक घर वाले पुरवासी पाये जाने से समस्त ज्ञाति 'पुर' से निकाली ऐसा अनुमान कैसे किया जावे ? इसके अतिरिक्त और कोई भी विश्वसनीय प्रमाण अभी इस संबंध का उपलब्ध नहीं हुआ।
कई पोरवाड ज्ञातीय वृद्ध सज्जनों से ज्ञातिका म्लस्थान का प्रश्न करने पर वे सिरोही बताने लगे प्ररंतु वास्तव में यह भी ठीक नहीं है । क्योंकि सिरोही राज्य का कामद्रा ग्राम का शिलालेख बताता है कि उस लेख्न के निर्मिता सज्जन भिन्नमाल से सिरोही आये । अर्थात् सिरोही पोरवाडों का मूलस्थान नहीं । एवं दो चार मनुष्यों के कहने पर पोरवाड ज्ञाति का मूलस्थान निश्चित करना योग्य नहीं।
___अब मेवाड को " प्राग्वाट ” कहने के संबंध में भी जरा मतभेद है । " मेदपाट" का " मेवाड" में रूपांतर होना जितना सहज है उतना दूसरे शब्द का शक्य नहीं। "प्राग्वाट" का अर्थ पूर्व प्रदेश [ स्थान ] होता है । एवंमेवाड को प्राग्वाट केवल वेही लोग कहेंगे कि जिनके निवास स्थान से मेवाड पूर्व में हो परंतु भारत का एक प्रदेश ऐसा है कि जो प्राचीन काल से आजतक पूरब [ पूर्व ] के नाम से जाना जाता है और वहां के निवासी भी पुरबिये कहे जाते हैं। पूर्व प्रदेश का प्राग्वाट तथा पुरबिये का प्राग्वाट अनुवाद बिलकुल यथार्थ है । पुरुखा चक्रकर्ती थे और उनका राज्य