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चौधरी-कुल देवास ।
मालवा प्रांत के बीसा पोरवाडों में चौधरी कुल की बराबरी करने वाला कोई दूसरा कुल पहिले न था और आज भी नहीं है । आज की अवनत दशा में भी इस कुल के लगभग सतरह घर देवास में हैं। ___ पोरवाडों का संबंध पौरव कुल से है यह पाठक पहिले इसी पुस्तक में पढ़ चुके हैं । यही संबंध इस घराणे में और पुरुकुल के प्रसिद्ध, पवार घराणे में आज भी प्रचलित है। इन दोनों घराणों का सेव्य सेवक-भाव आज कई शताब्दियां देख चुकी हैं । दोनों कुल सुख दुःख के समय एक दूसरे को साथ देते आये हैं। पेशवा के समय जब पवार सरकार हरदा हंडिया प्रांत के सूबे थे तब मालवा प्रांत का वसूली का काम इसी घराणे के 'सुपुर्द था और इस वसूली के कार्य के उपलक्ष्य में इन्हें वसूली का चौथा हिस्सा स्वनिर्वाहार्थ मिलता था। उस समय ऐसे उप्तन्न को चौथाई कहते थे और इसी लिये इस घराणे को “चौथधारी" कहा जाता था। इस का अब अपभ्रंश " चौधरी" हो गया है।
इन लोगों के पास जो कागद पत्र हैं उनमें एक पत्र ई. सन १७५१-५२ का प्रात्प हुआ है, वह बताता है कि इस