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वस्तुपाल ऐसा श्रीमान तथा सत्ताधारी था तो भी वह:
एकाहारी भूमि संस्तापकारी,
पद्भयांचारि शुद्ध सम्यकृत्व धारी. यात्राकाले सर्वसच्चितहारी,
पुण्यात्ना स्याद ब्रह्मचारी बिने कि.
अर्थात् - एक समय भोजन करनेवाला, जमीनपर बिस्तर • डालकर सोनेवाला, पैदल चलनेवाला, शुद्ध सदाचारी यात्रा के समय जैन ब्रह्मचर्य तथा के अनुसार अहार, त्याग, साधु विवेक से चलनेवाला था ।
वस्तुपाल को निम्नोक्त पद्वियां थी:
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१ प्राग्वाट ज्ञाति अलंकार, २ सरस्वती कंठा भरण ३ सचिव चूडामणि, ४ कूर्चाल सरस्वती, ५ धर्म पुत्र, ६ लघुभोज राज, ७ खंडेरा, ८ दातार चक्रवर्ती, ९ बुद्धि अभय कुमार, १० ऋषि कंदर्प, ११ चतुरिमा चाणाक्य, १२ ज्ञाति वाराह, १३ ज्ञाति गोवाल, १४ सैयद वंशक्षय काल, १५ सांखलाराय [ शंस्त्र ] मान मदन, ६ मज्जाजैन, १७ गंभीर १८ धीर, १९ उदार, २० निर्विकार, २१ उत्तमजन माननीय २२ सर्व जन श्लाघनीय २३ शांत, २४ ऋषि पुत्र २५ पर नारी सहोदर | ( श्रीमालिओंना ज्ञातिभेद पृ. ११६ ) अंत में वि. सं. १२९८ में वस्तुपाल बीमार होगया । उसने राजा से अंतिम बिदा मांगी व शत्रुंजय को प्रस्तान किया
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