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कि, पृथ्वीपाल का पुत्र ठकुर जगदेव था * । महामात्य पृथ्वीपाल को धनपाल नामक एक पुत्र और था। इस प्रकार निश्चित है कि, इन नव हथिणी सवारों में से पहिले तीन विमल के पूर्वज चवथा उसका बडा माई नेढ़ और बाकी के पांच नेढ के वंशधर हैं। यह भी निश्चित हुआ कि हस्तीशाला वि. सं...१२०४ में बनी उसमें सात हथिनी उसी समय स्थापित हुई बाकी की दो वि. सं. १२३७ में। ...
हस्तिशाला में मूर्तियां स्थापन करने का उद्देश वस्तुपाल के मंदिर की प्रशस्ती में लिखा है। उसमें कहा है कि हथिनियों पर बैठी हुई जिनदर्शन के लिये आई हुई मूर्तियां दिक्पालों के समान चिरकाल तक सुशोभित रहेगी। ( देखो वस्तुपाल चरित्र-लेख वि. सं. १२८७ का) इससे स्पष्ट है कि पहिले
___ * पहिले राज्य के जागीरदार, ब्राम्हण, महाजन और कायस्यों को ठक्कुर संज्ञा थी. देवास के पोरवाड क्षातीय प्रसिद्ध चौधरी-कुल के लोगों को अब भी ठार ही कहते हैं एवं
संवत १२४५ वै० वदी ५ भृगौ प्राग्वाट..... पृथ्वा पालात्मक ठ.. जगदेव पनि ठ• श्रीमालद आत्मश्रेयोथं श्रीसुपार्श्वनाथ प्रतिमा का० श्रीसिंह ( सुरिभिः प्रतिष्ठिता)
विमल मन्दिर-देवकुलिनका की एक मूर्ति पर का लेख. 8 श्री अभिनंदनस्य । ( सं० १२४५ वर्षे ) वैशाख वदि ५ गुरौ पृथ्वी पालात्मज महामात्य श्रीधनपालने मातृश्री पद्मावती श्रेयोर्थ 'कारिता (प्र.) श्री कोसहुद (कासहृद) गच्छे श्रीसिंह सूरिभिः। (विमल का मादर-देवकुलिका का लेख)