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गुरु-शिष्य
कोई किसीके लिए कुछ नहीं कर सके ऐसा होता, तब तो वकील काम ही नहीं आते न! ये डॉक्टर काम में ही नहीं आते न! पत्नी काम आएगी नहीं न! ये तो सभी एक-दूसरे के काम आते हैं।
प्रश्नकर्ता : कोई किसीके लिए कुछ कर नहीं सकता, वह जो बात लिखी है, वह किस संदर्भ में लिखी गई है?
दादाश्री : वह तो निश्चय में कही हुई है, वह बात व्यवहार में नहीं है। व्यवहार में लेना-देना है ही सभी के साथ और निश्चय में कोई किसीका कुछ नहीं कर सकता। एक तत्व दूसरे तत्व को कुछ भी हेल्प नहीं करता, लेकिन वह निश्चय की बात है। परंतु व्यवहार से सबकुछ होता है। यह तो उल्टे वाक्य समझाकर इस पब्लिक को बहुत नुकसान हुआ है।
प्रश्नकर्ता : इसलिए वह वस्तु ही समझना चाहता हूँ।
दादाश्री : वह तो कोई तत्व किसीको हेल्प नहीं कर सकता, नुकसान नहीं कर सकता, तत्व आपस में मिलते नहीं हैं, ऐसा कहना चाहते हैं। उसके बदले, यह बात लोग व्यवहार में खींच लाए हैं। वर्ना व्यवहार में तो पत्नी के बिना नहीं चलता, पत्नी को पति के बिना नहीं चलता। व्यवहार सारा पराश्रित है, निश्चय पराश्रित नहीं है, निश्चय स्वाश्रित है। अब व्यवहार में उस निश्चय को लाएँ, तो क्या दशा होगी?
___ 'गलत' का ज्ञान ज़रूरी आपको समझ में आती है यह बात? मेरी बात को सही नहीं ठहराना है। यह आपको सही लगे तो स्वीकारना। मैं किसी बात को सही नहीं ठहराना चाहता हूँ। आपको ठीक लगे तो स्वीकारना और नहीं स्वीकारो तो उसमें भी मुझे हर्ज नहीं है। मुझे तो किसी भी संयोग में सत्य बोलना चाहिए। नहीं तो ऐसा सब ही इन लोगों ने चला लिया है न!
प्रश्नकर्ता : लेकिन यह तो उनका व्यू पोइन्ट है न? दादाश्री : वह ठीक है। लेकिन यह सत्य यदि मैं ओपन नहीं करूँ