________________ ( 86 ) के जालोर-परगने की हुकुमत के नीचे दासपा ठाकुर के अधिकार ( ताबे) में है / इसमें मार्बुल-पाषाणमय चोवीस जिनालय श्रीपार्श्वनाथप्रभु का सौधशिखरी जिनमन्दिर 1 और दो बडी धर्मशालाएँ हैं / यहाँ श्वेताम्बरत्रिस्तुतिक जैनसंप्रदाय के अन्दाजन 250 घर हैं, जो विवेकी, श्रद्धालु, गुणानुरागी और गुणी साधुओं की अच्छी कदर करनेवाले हैं और प्रायः सभी जैनघर धन तथा कुटुंब से सुखी हैं। इसीसे इस प्रान्त में 'देहली में आगरो ने जालोरी में वागरो' यह कहावत मशहूर है / इनमें शा० प्रतापचंद धूराजी अच्छे धर्मचुस्त श्रीमन्त श्रावक हैं, जो जाति के वीसा पोरवाड़ जैन और हरएक धर्मकार्य में उत्साह पूर्वक भाग लेनेवाले हैं / श्रीकच्छभद्रेश्वरयात्रालघुसंघ' शा० प्रतापचंद धूराजीने सिद्धक्षेत्र-श्रीपालीताणा से संवत् 1990 मार्ग १-इसके पुराने नाम जाबालीपुर, जालंधर, जालीन्धर, और जालीपुर हैं / इसका संक्षिप्त इतिहास जानने की इच्छावालों को ' श्रीयतीन्द्रविहारदिग्दर्शन' का प्रथम भाग के पृष्ठ 169 से 185 तक का लेख वांचना चाहिये, जो 'श्रीराजेन्द्रप्रवचनकार्यालय. मु. खुडाला, पो० फालना ( मारवाड़ ) इस पते पर मिलता है / २-श्रीविक्रम संवत् 1990 वर्षे, शालिवाहनशाके 1855