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________________ ( 78 ) प्राप्त करके निज मानवजीवन को सफल करते हैं। कार्तिकी पूर्णिमा के दिन मेलेकी बड़ी नवकारसी मगसिर (गुजराती कार्तिक) वदि 1 के दिन कायमी होती है, जो मुर्शिदाबाद निवासी रायबहादुर बाबू धनपतिसिंहजी के तरफ से यावचन्द्रदिवाकरौ नियत है / चैत्रीपूर्णिमा की नवकारसी भी विदेशी जुदे जुड़ गृहस्थों के तरफ से हुआ करती है, जो अनियत है और टोलियाँ (छोटे जीमन) तो यहाँ हरसाल अगणित होते ही रहते हैं। गिरिराज श@जय की यात्रा करने के लिये हजारों यात्री प्रतिवर्ष, प्रतिमास और प्रतिदिन आते हैं / उनके जान-माल की रक्षा करने के लिये पालीताणा ठाकुर को रखोपा की वार्षिक रकम ठहराव मुताबिक सं० 1896 में प्रतिवर्ष 4500) पेंतालीससौ रुपया, सं० 1921 में 10000) दश हजार प्रतिवर्ष, और सं० 1942 से 1982 तक चालीस वर्ष के ठहराव पर प्रतिवर्ष 15000) रुपया आणंदजी कल्याणजी की पेढी तरफ से दिये जाते थे। परन्तु अब सं० 1984 से 2019 तक पेंतीस वर्ष के ठहराव पर प्रतिवर्ष 60000) साठ हजार रुपया दिया जाता है / इतना रुपया मिलने पर भी पालीताणा ठाकुर के तरफ से यात्रियों को चाहिये वैसी शाता नहीं मिलती। अस्तु. यह तीर्थ अतिशय प्रभावशाली है और जैनशास्त्र
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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