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________________ (64) नाम हैं, परन्तु उनमें इक्कीश नाम मुख्य हैं, जो 'शत्रुजयमहात्म्य' ग्रन्थ में इस प्रकार लिखे हैं१ शत्रुजय, 2 रैवतगिरि, 3 सिद्धक्षेत्र, 4 सुतीर्थराज, 5 ढंक, 6 कपर्दि, 7 लोहित, 8 तालध्वज, 9 कदंबगिरि, 10 बाहुबलि, 11 मारुदेव, 12 सहस्राऽऽख्य, 13 भगीरथ, 14 अष्टोत्तरशतकूट, 15 नगेश, 16 शतपत्र, 17 सिद्धिराद्, 18 सहस्रपत्र, 19 पुण्यराशि, 20 सूरप्रिय और 21 कामदायी। श्रीपादलिप्ताचार्य-रचित ' शबूंजय महातीर्थकल्प' में ये इक्कीस नाम इस तरह गिनाए हैं-- विमलगिरि मुत्तिनिलओ, सत्तुंजसिद्ध पुंडरीओ। सिरिसिद्धसेहरो सिद्धपचओ सिद्धराओ अ // 2 // बाहुबली मरुदेवो, भगीरहो सहसपत्त सयवत्तो / कूडसयअयुत्तरो, नगाहिराओ सहसकमलो // 3 // ढंको कोडिनिवासो, लोहिच्चो तालज्झओ कयंबुत्तो। सुरनरमुणिकयनामो, सो विमलगिरि जयउ तित्थं // 4 // --1 विमलगिरि, 2 मुक्तिनिलय, 3 शत्रुजय, 4 सिद्धक्षेत्र, 5 पुंडरीक, 6 श्रीसिद्धशेखर, 7 सिद्धिपर्वत, 8 सिद्धराज, 9 बाहुबली, 10 मरुदेव, 11 भगीरथ, 12 सहस्रपत्र, 13 शतपत्र, 14 अष्टोत्तरशतकूट, 15 नगाधिराज, 1 ग्रन्थों में जो नाम भेद देख पड़ते हैं, वे सब पाठान्तर समझना चाहिये।
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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