________________ ( 46 ) वनाथजी की भव्य मूर्चियाँ प्रतिष्ठा के समय शा. दीपचंद झबेर के पुत्र डूंगरसी तथा ब्रजलालने चढावा के 1001) रुपया देकर विराजमान किये हैं। प्रतिष्ठा के समय भन्दिर के ऊपर शा० मानसंग नानजी के नाम से उनके पुत्र के पुत्र शा० हकमचंद मूलजी के पौत्र धीरजलाल प्रेमचंदने चढावा के रु. 1351) देकर स्वर्णकलश, और शा० कालीदास बोधजीने रु. 1001) देकर धजादंड चढाया और मंदिर की मेडी ऊपर शा० नीमचंद कमाभाइ के पुत्र जगजीवन तथा पौत्र जीवराजने रु. 1651) देकर मूलनायक श्रीपार्श्वनाथजी विराजमान किये / उपरोक्त सत्कार्य करनेवाले सद्गृहस्थों के नाम के जुदे जुदे गुजराती में मंदिर की भींत पर शिला-लेख भी लगे हुए हैं। 33 खस (खह) इस गाँव में श्रीमालीजैनों के 36 घर हैं, जो तपागच्छ और स्थानकवासी विभाग में विभक्त हैं, लेकिन दोनों धर्मभावना से शून्य और विवेकविहीन हैं। यहाँ एक उपासरा, एक स्थानक और एक गृहजिनालय है, जिसमें धातुमय 'जिनपंचतीर्थी' स्थापित है। 34 सालगपुर, इस छोटे गाँव में श्रीमालजैनों के दो घर हैं, जो