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________________ ( 44 ) भी है, जिसमें दो साधुओं का स्थिरवास मुस्किल से हो सकता है / यहाँ साधु साध्वियों को आहार-पानी मिलना भी दुर्लभ है। 31 चूड़ा ध्रांगधरा तालुके का यह गाँव है जो पक्की सडकें, पोस्ट, तार ऑफीस और रेल्वेस्टेशन से शोभित है / यहाँ मन्दिरमार्गी श्रीमालजैनों के ७५और स्थानकवासी (लोंकागच्छ) के 75 घर हैं। दोनों के उपाश्रय और स्थानक जुदे जुदे बने हुए हैं / महाजनों के तरफ से एक पांजरापोल ( गौशाला) भी है जिसमें गाय, भेंस, आदि ढोर संग्रहित हैं / मध्य बाजार में एक सौधशिखरी सुन्दर जिनालय भी है, जिसमें मूलनायक श्रीसुविधिनाथजी की एक हाथ बडी वादामीरंग की मनोहर प्रतिमा विराजमान है / इसके अलावा इसमें पाषाणमय प्रतिमा 10, धातुमय पंचतीर्थयाँ 13 और गट्टाजी 15 स्थापित हैं। मंदिर के खेलामंडप की भींत पर एक शिलालेख भी लगा है १२-"श्रीचूडानगरेमहाराजश्रीरायसिंघजीना वखते खस्तिश्री संवत् 1916 वर्षे शाके 1781 प्रवर्त्तमाने उत्तरायणगते सूर्ये मासोत्तममासेपौषमासे शुक्लपक्षे 7 सप्तम्यां बुधवासरे श्रीमा
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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