________________ ( 22) टज्ञातीय श्रे० साजण, भा० राहा, पु० पूनसिंह, भा० पद्मा लज्जालू, पुत्र पद्म, भा० मोहिनीपुत्रैर्विजयसिंहसूरेरुपदेशाजिनयुगलं कारितं / " ४-"सं० 1351 वर्षे ब्रह्माणगच्छे चैत्ये मडा हडीयपूनसिंहभार्यापदमलपुत्र-पद्मदेवैर्जिनयुगलं कारितं, प्रतिष्ठितं श्रीविजयसिंहसूरिभिः।” मूल-मंडप के एक स्तंभ का लेख 5-" सं० 1446 वर्षे वैशाखवदि 11 बुधे ब्रह्माणगच्छीयभट्टारकश्रीमत्सुव्रतसूरिपट्टे श्रीमदीश्वरसूरिपट्टे श्रीविजयपुण्यसूरिपट्टे श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे श्रीहेमतिलकसूरिभिः पूनसिंहश्रेयोऽर्थ मंडपः कारापितः।” . दक्षिणदेवकुलिका की छत में पद्मशिला कालेख ६-"सं० 1242 वैशाखसुदि 15 वार सोमे श्रीमहावीरबिंबम् ,श्रीअजितस्वामीदेवकुलिकायाः पूणिगपुत्र ब्रह्मदत्त-जिनहाप-वन्ना-मना-सायबप्रमुखैः पद्मशिला कारापिता, सूत्रधार पूनडेन घटिता।" यहाँ के वासी जैनों का कहना है कि महावीर-मन्दिर से पूर्व अस्सी कदम दूर एक विशालकाय 52 जिनालय