________________ ( 201) द्वितीय श्री शान्तिजिन, शिखरबद्ध सुविशाल / पार्श्वप्रभु को भाव से, नजरे लीजे निहाल // 2 // देशी-नन्नादेवरा की. वासुपूज्यस्वामी रे, अंतरयामी रे, हाँ मोरा दीनदयालू . हाँ हाँ हाँ // टेर // वसुपूज्य तोरा तात कहाया, जया देवी के आप हो जाया / चंपापुरी ठवाया रे, हाँ मोरा दीनदयालू हाँ हाँ हाँ वा० 1 श्री अंजारे आप बिराजे, भक्तजनों के हो शिरताजे / मैं प्रभुचरणे आया रे, हाँ मोरा दीनदयालू हाँ हाँ हाँ वा० 2 शान्तिजिनेश्वर सोलम राजा, दर्श करन से तिरे केई समाजा। जीवदया मन लाया रे, हाँ मोरा दीनदयालू हाँ हाँ हाँ वा०३ सप्तफणा श्री पार्श्वकुमारा, जोया आजे अनूप दीदारा / आनंद पडह बजाया रे, हाँ मोरादीनदयालू हाँ हाँ हाँ वा०४ अंजारमंडन प्रभुजी बंका, रचना रची है जैसी लंका। देना दुःख निवारा रे, हाँ मोरादीनदयालू हाँ हाँ हाँ वा०५