________________ परिशिष्ट-नम्बर 2 श्रीसिद्धाचलमंडन-स्तवन चोढालियो। मंगलाचरणम् / देशी-नाटकीय-दादरा. आया प्रभू के दरबार, करो भवदधि पार / मेरे तूं है आधार, मुझे तार तार तार // 1 // आत्मगुण के भंडार, तेरी महिमा का नहीं पार / देखा सुंदर दीदार, करो पार पार पार // 2 // तेरी मूरति मनोहार, हरे मन के विकार / __ खरा हैयाना हार, वंदु वार वार वार // 3 // आया मंदिर मझार, किया जिन को जुहार / प्रभु चरण आधार, खरो सार सार सार // 4 // सूरिराजेन्द्र सुधार, मुनियतीन्द्र अपार / इनकी खूबी का नहीं पार, विनती धार धारधार // 5 // __ ढाल-प्रथम / देशी-भमरिया कुवाने कांठडे. चन्द्रवदने प्रभु शोभता हो राज, प्रेमे लागुं मैं नित्य पाय रे / सिद्धाचल वासी को मेरी वन्दना हो राज // 1 //