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________________ परिशिष्ट-नम्बर 1 इस दिग्दर्शन के तृतीय भाग में दर्ज किये गये जिनप्रतिमा, और जिनमन्दिरों के संस्कृत प्रशस्तिलेखों का सरल हिन्दी अनुवाद। मोटागाम (कोटडा मंदिर) १-बुहाडानगर के समस्त संघने श्रीगोडीपार्श्वनाथ के चरण-पादुका बनवाये और उनकी प्रतिष्ठा भट्टारक श्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वर के उपदेश से सं० 1845 माघसुदि 10 सोमवार के दिन महोपाध्याय लाभविजय के शिष्य पं० सौभाग्यविजय, उनके शिष्य मुनिसिंहने की / २-बीजोवानगर के संघने श्रीऋषभदेव का बिम्ब कराया और श्रीवरकाणातीर्थ में उसकी प्रतिष्ठा संवत् 1951 माघसुदि 5 के दिन तपागच्छीय भट्टारक श्री विजयराजसूरिने की। वरमाण के जिनालय में ३-सं० 1351 माघवदि 1 सोमवार के दिन पोर
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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