________________ ( 157 ) खारी मिट्टीवाला है / गाँव के बाहर बडा तलाव है, जो बारहो मास जलपूर्ण रहता है और इसका जल खारा है। यहाँ से टीकर का 10 कोश का रण उतर के कच्छ में जाया जाता है। इसमें वीसा श्रीमाली जैनों के 6 घर और एक छोटा उपाश्रय है। यहाँ के अजैन जैनों के साथ द्वेष रखने और जैन साधुओं की निंदा करनेवाले हैं। 52 वांटावदर चोटीला पहाड से निकली नित्यप्रवाहिनी स्वल्पतोया बांभणीनदी के वांये तटपर ध्रांगध्रा तालुके का यह गाँव है / इसमें वीसा श्रीमाली जैनों के 8 और दशा श्रीमाली जैनों के 2 घर हैं, जो अच्छे भक्ति भावनावाले हैं / एक छोटा और एक बडा उपासरा है / बडे उपाश्रय की मेडीपर रंगा चंगा सुंदर जिनालय है, जिसमें मूलनायक श्रीचन्द्रप्रभजिन की 2 फुट बडी प्रतिमा स्थापित है / कहा जाता है कि प्रथम (10 वर्ष पहले) यहाँ बहुलकुटुंबी श्रीमंत जैनों के 30 घर थे, परन्तु खोटे मुहूर्त में प्रतिष्ठा होने वाद उनका ह्रास होते होते अब 10 घर अल्पकुटुंबवाले रह गये हैं। 53 हलवद ध्रांगध्रा संस्थान की प्राचीन राज्यधानी का यह अच्छा शहर है, जो अंदाजन 4000 घरों की आवादी