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________________ ( 129 ) 24 राजकोट___ पश्चिम काठियावाड के पूर्व नाके पर हालारप्रान्त के अग्निकोण में आजीनदी के दहिने तट पर काठियावाडएजंसी का यह मुख्य शहर ( सदरस्थान) है / इसको अढीसो वर्ष पहले राजुसंधीने वसाया था, इससे इसका नाम 'राजकोट' कायम हुआ / शहर, परा और सदर इस प्रकार यह तीन विभाग में विभक्त है। शहर के चोतरफ मजबूतकोट और उसमें चार बड़े दरबाजे हैं / राजकोट की जनसंख्या 36057 है और इस राज्य के अधिकार में राजकोट 1, सरधार 2, कुवाडवा 3 ये तीन महाल तथा कुल 64 गाँव हैं। शहर का 'लालपरी' नामका तालाव सारे शहर को और कतिपय खेतों को जल पहुंचाता है / अंग्रेजसरकार का सिविलस्टेशन जो सदर कहलाता है, उसकी जनसंख्या 9613 है / स्टेशन के पास ही 'रांदरडा' तालाव है, जो सदर को पूरा जल देता है / शहर में मूर्तिपूजक जैनों के 400 और स्थानकवासी जैनों के 400 घर हैं / दोनों संप्रदाय में पारस्परिक संप अच्छा है और दोनों के तरफ से जैनपाठशाला, कन्याशाला, लायब्रेरी आदि संस्थाएँ कायम हैं / एकही कंपाउन्ड में तपागच्छीय 3 उपाश्रय, दो धर्मशाला और शिखरबद्ध एक जिनालय है, जिसमें मूलनायक 'श्रीसुपार्श्वनाथ' आदि की पांच जिनप्रतिमा विराजमान हैं।
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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