________________ ( 95 ) का प्रशंसनीय स्वागत किया और संघपतिने यहाँ नवकारसी की, तथा पाणी-परब खाते में 100 कोरी अर्पण की / यहाँ से फाल्गुन सुदि 1 को संघ उपड कर रणकांधी पर रात रहा और द्वितीया के दिन पांच कोश का रण, आधे कोश की कांधी पसार करके संघ सकुशल वेणासर गाँव पहुंचा। यहाँ एक दिन अधिक विश्राम लेकर संघ फाल्गुनसुदि 4 को सुवह वेणासर से रवाने होकर अनुक्रम से 4 घाटीला, 5 वांटावदर, 6 हलवद, 7 ढबाणा, 8 कोंढ, 9 करमाद, 10 परमारनीटीकर, 11 सायला, (भगतनोगाम), 12 नोली,१३ पालीयाद,१४ बोटाद, 15 लाठीदड आदि छोटे बडे गाँवों में स्थिरता करता और श्रीसंघसेवा का लाभ लेता लिवाता हुआ चैत्रवदि 1 के दिन लाखेणी पहुंचा / यहाँ के संघने संघ का प्रशंसनीय भक्तिभावादि स्वागत किया और यहाँ संघवीने संघजमण दिया। लाखेणी से चैत्रवदि. 2 को सुबह संघ रवाने होकर 2 पसेगाम, 3 पीपराली, 4 सांढेडा-महादेव, और 5 जमणवाव आदि गाँवों में स्थिरता करता चैत्र वदि 6 बुधवार के दिन 8 वजे सुबह सिद्धक्षेत्र-पालीताणे पहुंचा / आणंदजी कल्याणजी की पेढीने पेढी के लवाजमे और सरकारी बेन्ड आदि लवाजमे के साथ संघ का भारी समारोह से सामेला स्वागत किया। सप्तमी के दिन संघ