________________ (66) बहु-मूल्य मंदिर बनवाये गये हों। पर्वत के बाहर के प्रदेशों का समूह-व्यापी दृश्य भी यहाँ से बडा ही रमणीय दिखलाई देता है। पर्वत पर की सभी टोंकों के इर्द गिर्द एक बड़ा मजबूत पत्थर का कोट बना हुआ है। कोट में गोली चलाने योग्य भवारियाँ भी बनी हुई हैं / इस कोट के कारण पर्वत एक किले ही का रूप धारण किये हुए है / टोंकों में प्रवेश करने के लिये आखे कोट में केवल दोही बडे दाजे बने हुए हैं। कोट के भीतर प्रवेश करते ही एक चौक, बाद दूसरा और दूसरे के बाद तीसरा और मन्दिर मिलते जाते हैं / मन्दिरों में इतनी प्रतिमाएँ हैं कि एक श्रद्धालु-भक्त की जिधर को नजर जाती है, उधर ही ही उसे मुक्तात्माओं के प्रतिबिम्ब दिखलाई देते हैं / कुछ समय के लिये तो मानों वह श्रापको मुक्तिनगरी का एक पथिक समझने लगता है। .. . फार्बस साहब लिखते हैं कि-.. .."प्रत्येक मन्दिर के गर्भागार में तीर्थङ्करों की एक, या अधिक मूर्तियाँ बिराजमान हैं। उदासीन वृत्ति को धारण की हुई इन संगमर्मर की मूर्तियों का सुन्दर आकार, चांदी की दीपिकाओं के मन्द प्रकाश में अस्पष्ट, परन्तु भव्य दिखलाई देता है / अगरबत्तियों की सघन सुगन्धी सारे पर्वत पर व्याप्त है। संगमर्मर के चमकीले फर्श पर भक्तिमान स्त्रियाँ सुवर्ण के शृङ्गार और विविध रंग के वस्त्र पहिन कर जगमगाहट मारती हुई और एक स्वर से, परन्तु मधुर आवाज़ से स्तवना करती हुई, नंगे पैर से धीमे धीमे '.