________________ किसी काम लायक नहीं हैं। साधु साध्वियों को देख कर यहाँ के जैन घर बंद कर लेते हैं / यहाँ उतरने योग्य कोई भी स्थान नहीं है। तलाजा की यात्रा के लिये जानेवाला कोई संघ यहाँ मुकाम करता है, उससे यहाँ के जैन उपाश्रय बांधने के लिये रुपये मंडा कर स्वयं ॐ स्वाहा कर जाते हैं। 42 पालीताणा. बम्बई हाते के काठियावाड़ के गोहेलवाड प्रान्त में शत्रुजय पहाड़ी की पूर्वीनेव के पास एक देशी राज्य की राजधानी है। यह काठियावाड़ के दूसरे दर्जे के राज्यों में से एक है। यहाँ के ठाकुर गोहेल राजपूत हैं। इसका स्थान, भूगोल में 21 अंश, 31 कला, 10 विकला उत्तर अक्षांस और 71. अंश, 53 कला, 20 विकला पूर्वदेशान्तर है। इसमें राजकीय मकानों को छोड़कर, शेष सब जितने बड़े बड़े मकान हैं वे जैन समाज के हैं / यहाँ जैनगुरुकुळ, जैनबालाश्रम, श्राविकाश्रम, हेमचन्द्राचार्यपाठशाला, वीरबाई पाठशाला, बुद्धिसिंहपाठशाला, तलकचंद लायब्रेरी, मोहनलाल लायब्रेरी और राजकीय महालयों के समान मोटी धर्मशाला आदि अनेक होने के कारण यह छोटा कसबा होने पर भी शहर के सदृश देख पड़ता है। ___यहाँ कुल 6 जिनमंदिर हैं. जिनमें आदिनाथ भगवान् का सब से बड़ा है, इसमें मूलनायक समेत 142 जिन-मूर्तियाँ हैं और शेष आठ मंदिरों में सब मिलकर 122 मूर्तियाँ हैं जिनमें इधर उधर देने की मूर्तियाँ भी शामिल हैं। इनके अलावा