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________________ (296 ) बडा चोमुख-मन्दिर है, जो ऊपरा ऊपरी तीन खंडवाला है / इन सभी जिनमन्दिरों में छोटी बडी पाषाणमय प्रतिमा 267 और धातुमय प्रतिमा 608 मिला कर 1175 जिन मूर्तियाँ ( प्रतिमाएँ ) बिराजमान हैं। इन के अलावा आदिनाथ के मन्दिर में तीन चोवीसी का पट्टक 1, नन्दीश्वरद्वीप का पट्टक 1 तथा सिद्धाचल का पट्टक 1 और अजितनाथ-मन्दिर में श्री सिद्धचक्रजी का पट्टक 1 एवं 4 पट्टक हैं। देहरा-सेरी के सिवाय श्रीजीरावला-पार्श्वनाथ का मन्दिर जिसमें पाषाणमय प्रतिमा 6 और धातुमय प्रतिमा 26 हैं, और श्रीचिन्तामणि-पार्श्वनाथ के मन्दिर में पाषाण की 1 तथा धातु की 7 प्रतिमा हैं। शहर के बाहर थूभ नामक स्थान पर बने हुए श्रीमहावीर मन्दिर में पाषाण की 3 और धातु की 3 प्रतिमा स्थापित हैं। इस प्रकार सिरोही के सोलह मन्दिरों की छोटी बडी सभी जिनप्रतिमाओं की संख्या 1227 हैं / इन में धातुमय गट्टाजी भी शामिल समझना चाहिए और प्राचार्य प्रतिमा 6 तथा चरणपादुका जोड 47 इन के अलावा जानना चाहिये। सिरोही भी इस प्रान्त ( मारवाड ) में अर्ध शत्रुजय माना जाता है। अतएव यह स्थान भी पवित्रतीर्थ और दर्शनीय है। पं० कान्तिविजयजी रचित 'सिरोहीचैत्य परिपाटी-स्तवन' में सिरोही के जिनमन्दिरों की संख्या 18 दी है, उसमें उन्होंने छोटी दो देरियाँ जो बावन जिनालय मन्दिर के अन्तरगत हैं, उनको
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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