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________________ ( 286 ) 3 भीमावमहि ( आदिनाथ-मन्दिर ) यह जिनमन्दिर श्रावक भीमसिंह का बनवाया हुआ है / इसमें धातुमय श्री आदिनाथ भगवान की विशाल प्रतिमा परिकर सहित बिराजमान है, जो साक्षात् कंचन के समान देख पडती है / इसकी पलांठी के नीचे लिखा है कि संवत् 1525 फा० सु० 7 शनिरोहिण्यां श्री अर्बुदगिरौ देवडा श्रीराजधर-सायर डूंगरसी राज्ये सा० भीमचैत्ये गर्जर श्रीमाली राजमान्य मं० मंडनभार्या मोली पुत्र महं० सुन्दर पु० मं० गदाभ्यां भार्या हांसी परमाई महं० गदा भा० आसू पु० श्रीरंग वाघादि कुटुंबयुताभ्यां 108 मणप्रमाणं सपरिकरं प्रथमजिनबिंब का०, तपागच्छनायक श्री सोमसुंदरसूरिपट्टप्रभाकर श्री लक्ष्मीसागरसूरिभिः प्रतिष्ठितं, श्रीसुधानंदनमूरि-श्री सोमजयमूरि-महोपाध्यायश्री जिनसोमगणि प्रमुख परिवार परिवृतैः, विज्ञानं सूत्रधार देवाकस्य श्रीरस्तु. -सं० 1525 फाल्गुन सुदि 7 शनिवार रोहिणी नक्षत्र में आबूजी के ऊपर देवडा श्री राजधर सायर डूंगरसी के शासन काल में शा० भीमसिंह के मन्दिर में गुर्जरश्रीमाली राजमान्य मंत्री मंडन की स्त्री मोली के पुत्र महं० सुन्दर के पुत्र मंत्री गदाने अपनी स्त्री हांसी परमाई महं० गदा की स्त्री आसू के पुत्र श्रीरंग, वाघा, आदि कुटुम्ब सहित 108 मण प्रमाण वजनवाला सपरिकर श्री आदिनाथ भगवान् का बिम्ब कराया, और तपागच्छीय श्री सोमसुन्दरसूरि के पाट पर सूर्य के समान
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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