________________ ( 256) भावुकों की मनोकामनाएँ इसको मान्यता से सिद्ध हुई हैं / इसी से इधर के जैन और जैनेतरों की इस मूर्तिपर अटल श्रद्धा है / दर असल में यह स्थान भी इसी प्रभावशालिनी मूर्ति के कारण तीर्थ स्वरूप माना जाता है। इस चमत्कार पूर्ण प्रतिमा की प्रतिष्ठा कब किस समर्थ प्राचार्य के हाथ से हुई ?, इसका परिचायक यहाँ कोई शिलालेख नहीं है, परन्तु मूर्ति के देखने से अति प्राचीन होने का अनुमान किया जाता है। ____ कसबे से उत्तर-पश्चिम एक जीर्ण तालाव की पाल पर हिंगलाज-माता का देवल है। जिसमें प्रायः सभी पत्थर जैनमन्दिर का लगा हुआ है और इसीमें नेमनाथ भगवान् की अधिष्टायिका अम्बिकादेवी की खंडित-मूर्ति और जैनप्रतिमा की बठक का खंडित परिकर रक्खा हुआ है। उन पर लिखा है कि " संवत 1261 वर्षे ज्येष्ठ सुदि 2 रखौ श्रीब्रह्माण गच्छे श्रेष्ठि बहुदेवसुत श्रेष्ठिदेवराणाग भार्या गुणदेव्या श्रीनेमिनाथविंबं कारितं, प्रतिष्ठितं श्रीजयप्रभसूरिभिः / " (खंडित परिकर ) ___ "संवत 1355 वर्षे वैशाखवदि 7 पीपलग्रामे श्रीनेमिनाथबिंबानि निजपूर्वजगुरूणां मुनिकेशी अवलोक शिषरअदाऽऽम्रशांबसहिता श्रीअंबिकामूर्तिः पं० विजयकलशेन कारिता, श्रीजयप्रभसूरिशिष्य-श्रीगुणाकरसूरिभिः प्रतिष्ठितं / (अम्बिका की खंडित मूर्ति )