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________________ (227) उपासरा तथा जिनालय है / मन्दिर में दो फुट बड़ी ऋषभदेवजी की प्राचीन मूर्ति है और धातु की छोटी 13 पंचतीर्थयाँ हैं। 163 जेतडा - यहाँ भावुक और धर्मप्रेमी श्रीमालजैनों के 18 घर, एक सपासरा और गृहमन्दिर है, जिसमें ऋषभदेव भगवान की भव्य प्रतिमा स्थापिन है। 194 पावर यहाँ साधुनों के ठहरने लायक कोई स्थान नहीं है और न जिनदर्शन हैं / जैनों के चार घर हैं, जो नहीं जैसे और धर्मभावना से रहित हैं। 195 थराद- यह बनासकांठाएजन्सी में अच्छा संस्थान है, इसका क्षेत्रफल 940 चौरस मील. और प्राबादी 52839 के लग-भग है। जिनमें 46765 हिन्दु, 1948 मुसलमान और 41.07 जैन तथा 23 गेर जात के हैं / सन 1621 की गणनानुसार थराद कसबे की आबादी 827 घरों की है जिनमें पुरुष 1963 और स्त्रियाँ 1635 हैं / इसके उत्तर मारवाड, पूर्व में पालनपुर, दक्षिण में दीओदर और सुइगाँव, तथा पश्चिम में वाव परगना है। यहाँ शीतकाल में 40 से 48, ग्रीष्मकान में 90 से 118 और वकाल में 70 से 65 डीग्री तक गरमी पड़ती है। है इसका जूना नाम थिग्पुर थिगदि, थारापद्र और थिगपद है,
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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