________________ ( 225) इस पद्य से साफ जाहिर होता है कि विशाल और समृद्ध भीमपल्ली नगरी का किसी अकस्मात् से ध्वंस (नाश ) प्राचार्य सोमप्रभसूरि के समय में हुआ है और सोमप्रभसूरि का साधुत्व काल गुर्वावली के लेखानुसार सं० 1.32.1 से 1373 तक है। याने विक्रम की चौदहवीं सदी के लगभग मध्यभाग में भीमपल्ली का नाश हुअा है / इसके पहले यह नगर जन और लक्ष्मी से परिपूर्ण था। परन्तु वर्तमान में यह एक छोटे गाँवडे के रूप में रह गया है। ____ इस तीर्थ के नायक भीलडिया पार्श्वनाथ के मन्दिर (भोयरा) में एक धातु की प्रतिमा है / उस पर लिखा है कि - संवत् 1215 वर्षे वैशाखसुदि ९दिने श्रे० तिहणसर भार्या हांसी श्रेर्योऽर्थ रतमानाकेन श्रीशांतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं न....ति...गच्छीय श्रीवर्द्धमानसूरिशिष्यैः श्री. रत्नाकरसूरिभिः। इसी प्रकार तीर्थनायक के सामने एक ताक में गौतमस्वामी की प्रतिमा स्थापित है। उसके नीचे लिखा है कि-... संवत् 1324 वैशाखवदि 5 बुधे श्री गौतमस्वामि मूर्तिः श्रीजिनेश्वरमूरि-शिष्य-श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठिता, कारिता च सा ...पुत्र सरिवइजनेन मूलदेवादि भ्रातसहितेन स्वश्रेयोर्थ कुटुम्बश्रेयोर्थ च / भीलडिया में छोटी बड़ी पाषाण की प्रतिमानों पर लेख