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________________ (217 ) 182 भाटी इस गाँव में जैनों के तीन घर हैं जो धर्मभावना से रहित हैं। यहाँ जिनालय, उपासरा, धर्मशाला या साधु साध्वियों के उतरने लायक कोई भी स्थान नहीं है / 183 जडिया इस गाँव में श्रीमालजैनों के 7 घर हैं जो समकितगच्छ के कहलाते हैं परन्तु इनमें तद्गच्छ संबंधी नियमों की गंध तक नहीं है और प्रायः जैनधर्म से अनभिज्ञ हैं / यहाँ जिनमन्दिर या जिन दर्शन नहीं है। गाँव में एक उपासरा है जो द्रव्य के अभाव से कई वर्षों से अधूरा ही पडा है। 184 धानेरा पालनपुर स्टेट का यह छोटा पर रमणीय कसबा है / यह रियासत पहले सोलंकी सरदारों और बाद में देवडा राजपूत सरदारों के और उनके वंशजों के अधिकार में कई सौ वर्ष तक रही। पालनपुर के गुजराती इतिहास में लिखा है कि सन् 1768 इस्वी में पालनपुर के राजा बहादुरखान ने कतिपय सेना के साथ धानेरा जागीर पर चढाई की और अपने प्रबल तेज से राजपूत सरदारों के बल को कम करके इसके चोवीस गावों में राज्य का हिस्सा कायम किया और देवडा राजपूत सदाजी तथा सोनाजी के तीस गांवों को खालसे कर दिये / पेश्तर के मुताबिक हाल में भी ये गाँव तीसी चोवीसी के नाम से प्रसिद्ध हैं और धानेरा जागीर में शामिल हैं।
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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