________________ (157 ) सुन्दर और दर्शनीय है और जिसमें भव्य आचार्यप्रतिमा स्थापित है। . इसके अलावा गाँव के पूर्व किनारे पर लगते ही एक सौधशिखरी जिन-मन्दिर है, जो सं० 1246 में लीलाशाह श्रोसवाल का बनवाया हुआ है / इसमें मूलनायक श्रीशान्तिनाथजी की सफेद वर्ण की 1 // हाथ बड़ी मूर्ति मय परिकर के विरा. जमान है / इसकी अञ्जनशलाका सं० 1134 वैशाखसुदि 10 के दिन श्रीहेमसूरिजी महाराजने की है / मूलनायक के दहिने तरफ एक फुट बड़ी दूसरी मूर्ति है, जिसकी प्रतिष्टा सं० 1653 वैशाखसुदि ११के दिन श्रीविजयसेनसूरिजी महाराज के हाथ से हुई है / प्रवेश द्वार के वाम-भाग में 2 // हाथ बड़ी एक का. योत्सर्गस्थ मूर्ति है, जो अति प्राचीन और सर्वाङ्गसुन्दर है। दूसरा मन्दिर गाँव से दक्षिण बाहर बगीचे में है, यह बावन जिनालय है, इसमें मूलनायक श्री आदिनाथजी की श्यामरंग की 1 हाथ बड़ी भव्य मूर्ति स्थापित है / इसकी अंजनशलाका सं० 1928 में हुई है और देह रियों में विराजमान करने के लिये 55 मूर्तियों की अंजनशलाका सं० 1961 माघसुदि 15 बुधवार के दिन तपागच्छ के श्रीपूज्य विजयमुनिचन्द्रसूरिजीने की है / ये सभी प्रतिमाएँ मन्दिर के एक कमरे में रक्खी हुइ हैं / इस मंदिरको सं० 1920 में यहीं की रहनेवाली श्राविका नगीबाईने गाँवों गाँव से पानटी करा के बनवाया है। 136 वरकाणा-तीर्थ गोड़वाड परगने की पंचतीर्थियों में से यह एक है।