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________________ (147) 124 अगवरी इस गाँव में श्वेताम्बर जैनों के 100 हैं, तथा 3 धर्मशाला, दो उपासरा और दो जिन-मन्दिर हैं। एक शिखरबद्ध अति रमणीय मंदिर है, जिस के चारों ओर 24 देहरियाँ हैं, इसमें मूलनायक श्रीऋषभदेव भगवान् की सफेद वर्ण की दो हाथ बडी मूर्ति बिराजमान है / एक दूसरा गृहमंदिर है, जिसमें भी श्रीश्रादिनाथ भगवान् की तीन फुट बड़ी मूर्ति स्थापित है / 125 सेरिया___ सुखडी नदी के बिलकुल किनारे पर बसा हुश्रा यह छोटा गाँव है। यहाँ त्रिस्तुतिक प्राचीन संप्रदाय के 50 घर हैं, जो अच्छे भावुक और श्रद्धालु हैं / यहाँ एक दो मंजिली पकी धर्मशाला और एक गृह-मन्दिर है, जिसमें मूलनायक श्रीचन्द्रप्रभस्वामीजी की छोटी सुन्दर मूर्ति बिराजमान है। 126 पावटा यह छोटा गाँव है, इसमें जैनों के 25 घर और एक अच्छी विशाल धर्मशाला है / गाँव के बाहर लगते ही एक भव्य शिखरबद्ध मन्दिर है, जो नया बनाया गया है / इसमें मूलनायक श्रीऋषभदेवस्वामी की प्राचीन और सर्वाङ्ग सुन्दर मूर्ति बिराजमान है, जो मंदिर के वाम भाग के एक मिट्टी के दुब्बे को खोदते हुए उसके नीचे से नीकली है / यह तेरहवीं सदी की प्रतिष्टित प्रतिमा है / इस मंदिर के मण्डप में श्रीसुव्रतसुरिजी की प्रतिमा है जिसकी पलाठी में 'सं० 13 श्रीपाटादि 60 वर्षे आषाढसुदि 9 सोमे ' ऐसा लिखा है।
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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